Monday, 31 July 2017

मुलाज़िम बना ग़ुलाम - 6

अपने लॅंड को पकड़ कर राहुल नीचे घुटनो के बल गिर गया और जोर जोर से साँसें भरता रहा। २-३ मिनिट के बाद वो होश मे आया और उसने सर उपर उठा कर देखा। अमित सोफे पर बैठा था और उसके चेह्रे पर एक शरारत भरि मुस्कान थी. "अ*ॅब पता चला कि तेरा लंड खड़ा क्यों था. साले तू gay है gay. गांडू तुझे लड़के पसंद है." अमित ने जोर से ठहाका मारा. राहुल का चेहरा शर्म से लाल हो गया. उसे कभी इस बात का एहसास नहि था कि वो gay है. पर यह तो सच है कि उसे लड़कियों में कोइ खास दिल्चस्पइ नही थी. जब कॉलेज में उसके साथ के लड़के गर्ल फ्रेंड्स बनाने में व्यस्त थे, वो लड़कों से दोस्ती में ही खुश था. उसका सर इस नए एहसास से भन्नाने लगा. अमितकि एक ऊँची आवाज़ से उसका ध्यान वापिस आया. " अ*ॅब साले जो ये गंदगी फैलयि है इसे साफ़ कर. तेरे लंड ने जो यह पानि झाडा है फर्श पर, उसे अपनी जीभ से चाट. जल्दी." राहुल ये सुनकर सकते में आ गया. वो जीभ से फर्श कैसे साफ़ कर सकता है. ये अमित क्य कहाँ रहा है. उसके मन में एक घिन्न सी उठी. वो सिहर गया. अभिसोच ही रहा था के अमित चिल्लया "जल्दी, और काम भि है मुझे, साले तेरे लंड को हिलाने के अलावा. चल चाट जल्दी."
to be continued.....

No comments:

Post a Comment

ek ajeeb sa sapana aaya mujhe

“ishaant idhar aao…..” maths teacher ke muh se apana naam sunakar mera dil dhaak se baith gaya. is baar phir main phel ho gaya kya. pichhale...