Friday, 4 August 2017

मुलाज़िम बना ग़ुलाम - 18

राहुल की ज़िंदगी में ये नया मोड़ पिछले मंगलवार से आया था. जब अमित ने उसे शाम को सात बजे के बाद ऑफ़िस में ही रुकने को बोला था. राहुल अमित की कंपनी अमित एंड एसोसिएट्स में पिछले 5 साल से एकाउंटेंट था. 6 महीने पहले तक ये कम्पनी अशोक अगरवाल एंड संस के नामे से जानी जाती थी. पर छह महीने पहले इस कम्पनी को अमित गुप्ता ने ख़रीद लिया था और इसका नाम बदल गया. अशोक अगरवाल को राहुल पर बहुत विश्वास था और शायद इसी विश्वास का फायदा राहुल ने उठाया शुरू से . उसने कंपनी से अलग अलग मौको पर ५ लाख रुपये निकाले और अशोक अगरवाल को खबर भी नहीं हुई. पर अमित एक सॉलिड एकाउंट्स बैकग्राउंड से था उसने आते ही सारे अकाउंट छान मारे और पता लगा लिया की राहुल ने अलग अलग मौको पर 5 लाख रुपये निकले है. राहुल एक गरीब घर से तालुक रखता था और वो एक बइमान इंसान नहीं था. बल्कि उसने ये पैसे अपने माँ बाप के क़र्ज़ चुकाने और अपनी ज़मीन वापिस लेने के लिए निकाले थे. वो अगर चाहता तो और गबन कर सकता था पर उसकी गैरत ने उसे ये करने नहीं दिया. अमित के कंपनी टेकओवर करने के बाद राहुल के मन में डर तो था. पर उसने ये काम इतनी सफाई से करा था की उसे यकीन था की अमित उसे कभी पकड़ नहीं पायेगा. और अगर पकड़ा भी गया तो अमित कभी ये साबित नहीं कर पायेगा ऐसा उसका मानना था.
सोमवार को सात बजे राहुल ने अमित को इण्टरकॉम मिलकर पुछा की क्या वो जा सकता है. अमित ने उसे रुकने को बोला. लगभग 7.30pm तक पूरा ऑफिस खली हो गया. तभी कोई सतीश सिंह नाम का आदमी अमित से मिलने आया. राहुल ने ही अमित से फोन पर पुछा और अमित के हाँ करने पर उसे अन्दर भेजा. सतीश के पास एक मोटी सी फाइल थी इतना राहुल ने नोटिस किया. लगभग आठ बजे अमित ने राहुल को फोने करके अन्दर आने को कहा. राहुल अमित के केबिन की तरफ बड़ा और उसका दरवाज़ा खटखटाया. अमित ने ’ कम इन’ कहा और राहुल अन्दर दाखिल हुआ. उसने देखा की अमित कुछ फाइलें देख रहा था और उसने मुह उठाकर भी राहुल की तरफ नहीं देखा. सतीश जो की अमित के दूसरी तरफ बैठा था ने मुड़कर राहुल की और देखा. राहुल ने सतीश की नज़रों में एक अजीब सी नफरत देखि. राहुल अमित की बेरुखी और सतीश के शक भरी निगाह से डर सा गया. पता नहीं क्यों उसे लगा की कुछ होने वाला है. राहुल अमित के सामने जाकर खड़ा ओ गया और अमित के आदेश का इंतज़ार करने लगा. कुछ देर तक भी जब अमित ने ऊपर नहीं देखा तो राहुल ने बोला ” सर आपने मुझे बुलाया.” इस बार अमित ने ऊपर नज़र उठाई और उसको आखें गुस्से से लाल थी. राहुल एक सेकड के लिए डर गया. अमित गुस्से में उसे देखता रहा. राहुल ने हिम्मत जुटाकर पुछा ” सर सब ठीक तो है न" उसका दिल अनहोनी के डर से जोर जोर से धड़कने लगा. अमित अभी भी उसे गुस्से में देख रहा था. अमित की इस गुस्से भरी नज़र से राहुल के शरीर में एक सनसनाहट सी हुई डर के मारे.
“क्यों बे राहुल तुझे पता नहीं की मैं इतना गुस्सा क्यों हूँ.” अमित ने इस तरीके से राहुल से कभी बात नहीं करी थी. “जी…...सर……..वो…...आआ….नहीं…” राहुल ने डरते ही जवाब दिया.
अमित तेजी से अपनी सीट पर से उठा और राहुल के पास जाकर खड़ा हो गया. राहुल उसको ही देख रहा था और उसको पास आते देख वो उसकी और मुड़ा. अमित ने आव देखा न ताव, एक जोर दार झापड़ राहुल के मुह पर मार दिया. राहुल अचानक पास पड़ी कुर्सी के ऊपर जाकर गिरा…
“हरामखोर, मुझे बइमान लोग बिलकुल पसंद नहीं है.” अमित चिल्लाया. राहुल जो आभी मिले थप्पड़ से सकते में था, ये सुनकर घबरा गया. उसे लगा की उसको चोरी पकड़ी गयी है. उसने अमित की आखों में देखा. अमित की आखों में खून सवार था. उसने बालों से पकड़ कर राहुल को उठाया और एक और झापड़ जड दिया. राहुल के गाल डर के मारे लाल हो गए. हिम्मत करके उसने पुछा “सर प्लीज मुझे मारो मत आप बताओ क्या हुआ है.” अमित का ये सुनकर और चेहरा गुस्से से लाल हो गया. और उसने फिर से अपना हाथ उठाया. पर इस बार सतीश अपनी जगह से उठा और उसने अमित को रोका. अमित थोडा ठंडा हुआ और गुस्से में पैर पटकता हुआ अपनी सीट पर जाकर बैठ गया. इस बार सतीश बोला. “मिस्टर राहुल, मेरा नाम इंस्पेक्टर सतीश सिंह है और मैं इकोनोमिकल क्राइम बरंच में पोस्टेड हूँ. अमित मेरा पर्सनल लेवल पर बहुत अच्छा दोस्त है बचपन से. उसने मुझे पर्सनल लेवल पर रिक्वेस्ट किया था ये तफ्तीश करने के लिए की क्या कम्पनी के अकाउंट से ५ लाख रुपयों का गबन हुआ है. और सारी तफ्तीश करने के बाद मुझे पता चला है की तुमने अलग अलग समय पर कम्पनी के अकाउंट से ५ लाख का गबन किया है. सारे सबूत इस फाइल मई है. अगर तुम चाहो तो ये चेक कर सकते हो आखिर तुम एकाउंट्स बैकग्राउंड से हो न.” राहुल ने कांपते हाथों से फाइल पकड़ी. और फाइल को देखने लगा. फाइल में बाकायदा उन ट्रांसेक्शन के डिटेल्स थे जिनमे घपले किये थे राहुल ने. राहुल समझ गया की वो सब तरफ से घिर गया है. अचानक वो अमित के पैरों में गिर गया. और जोर जोर से रोने लगा…” सर मेरा विश्वास कीजिये मैंने जो भी किया वो मजबूरी में किया, मेरे माँ बाप बेघर हो जाते अगर में ये पैसे न देता उन्हें. मैंने सोचा था की आते ही पैसे वापिस साल कर ट्रांसेक्शन को क्लोज कर दूँगा पर मैं पैसो का जुगाड़ नहीं कर पाया. सर अगर मेरे मन में खोट होता तो मैं और पैसों का गबन कर सकता था. पर मैंने नहीं किया.” राहुल को पैरों में पडा देख अमित के लंड में कुछ खुर्खुरी सी हुई. उसकी कब से राहुल पर नज़र थी और वो किसी तरह राहुल पर dominate करना चाहता था. अब सही वक़्त आ गया था. उसने सतीश की और शरारत भरी नज़र से देखा. सतीश ने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया. “अमित, अगर तुम चाहो तो मैं अभी एक FIR लिखवाकर इसको अन्दर कर देता हूँ, और चिंता मत करो साले को कम से कम दस साल की सज़ा करवाऊँगा, ऐसा केस बनाऊँगा की निकल नहीं पायेगा. अपने पुलिस स्टेशन कॉल करता हूँ.” सतीश ने अमित की और देख कर बोला….
“नहीं सर प्लीज…… ऐसा मत करिए, मुझे एक दो महीने का समय दीजिये मैं सब पैसे लोटा दूंगा. पाई पाई. प्लीज मुझे अरेस्ट मत करवाए, मेरे पास तो केस लड़ने के भी पैसे नहीं है.” राहुल अमित के पैरों पर सर रखकर गिदगिदाने लगा.
अमित ने राहुल को बालों से पकड़ा और खींचा ताकि वो ऊपर खड़ा हो सके और बोला . “हरामी की औलाद, एक दो महीने का टाइम दे दूं, ताकि तू गोली देकर भाग जाए. मुझे चुतिया समझा है क्या?” राहुल अब तक अमित के सामने खड़ा था. “सतीश तुम पुलिस स्टेशन फोने लगाओ. मैं इस आदमी को ज़िन्दगी भर जेल की चक्की पीसता हुआ देखना चाहता हूँ.” अमित सिचुएशन को और सीरियस बनाना चाहता था. राहुल तो डर के मारे पसीने पसीने हो रहा था. “ सर प्लीज आप जो कहोगे वो करूंगा मुझे पुलिस के हवाले मत करना. “ राहुल गिदगिदाने लगा. अमित मुस्कुराने लगा. राहुल हैरान हो गया की अमित क्यों मुस्कुरा रहा है. “ कुछ भी?” अमित ने पुछा. “ जी सर" राहुल ने फ़टाफ़ट जवाब दिया….” पक्का…” “ जी सर" “ठीक है मेरे जूते चाट" अमित ने जवाब दिया…..राहुल हैरान रह गया. उसने ये एक्स्पेक्ट नहीं किया था.
to be continued......

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