Tuesday, 8 August 2017

मुलाज़िम बना ग़ुलाम - 20


राहुल के अगले तीन दिन सब जगह भागते धौदते निकले. उसने कई जगह से पैसा का इंतज़ाम करने की कोशिश करी. पर कुछ नहीं हो पाया. उसके पास हर महीने 1000/- - 1500/- से ज्यादा कभी नहीं बचते थे. वो अपने घर पैसे भेजता था और घर का किराया जहाँ वो रहता था. इस सब के बाद कुछ नहीं बचा पाटा था वो. फ्राइडे सुबह तो उसे पता चल गया की अब उसकी ज़िन्दगी बदलने वाली है अगले चार महीने के लिए. कई बार शहर छोड़ कर भागने का विचार मन में आया, पर ये सोच कर की कहीं अमित पुलिस के पास पहुंच गया तो वो एक मुजरिम हो जायेगा. वो भाग कर जाए ही तो जाए कहाँ जाए. गाँव गया तो सबको क्या जवाब देगा. और घर का खर्चा भी तो उसी के पैसे से चलता था. पर अगले चार महीने कैसे घर का खर्चा चलेगा. फ्राइडे दोपहर के एक बज गए और उसे पता लग गया की उसके पास कोई आप्शन नहीं है. तभी फोन की घंटी बजी उसका दिल जोर जोर से धड़कने लगा. उसने मोबाइल उठाकर देखा तो वो अमित का था. उसका दिल उछलकर उसके गले में फंस गया जैसे. उसने जैसे तैसे हिम्मत करके फोन उठाया और कांपती आवाज़ में बोला.” हे…..लो……” “ क्यों बे हरामी की औलाद तिन दिन से तो तेरा पता ही नहीं है. पैसो का इंतज़ाम हुआ…” गाली सुनकर राहुल के लौड़े में खून भरने लगा…
“सर प्लीज मुझे थोडा टाइम और दीजिये, मैं इंतज़ाम कर लूँगा. प्लीज सर प्लीज……..” राहुल गिडगिडाने लगा…
“तो कमीने इसका मतलब पैसे का इंतज़ाम नहीं हुआ.” अमित बोला.
“सर प्लीज मैं आपसे भीख मांगता हूँ, मुझे थोडा टाइम और दे दीजिये.”
“आज शाम को 8 बजे मुझे मेरे ऑफिस में मिल आकर. वैसे तो कोई नहीं होगा, पर अगर कोई मिले तो बोल दियो की पिचले तीन दिन से मैंने तुझे किसी काम से चेन्नई भेजा था. और आगे भी तू नहीं रहेगा कुछ दिन. मैं नहीं चाहता की ऑफिस में कोई घुसर पुसर हो तुझे लेकर...समझा….” अमित ने राहुल की बातों को कोई तवज्जो नहीं दी.
“सर प्लीज…..”
“अबे जो मैंने कहा वो समझ गया न… नहीं तो आज रात को ही पुलिस तेरे घर पहुँच जायेगी…..” अमित ने राहुल को धमकाया.
“नहीं सर प्लीज. मैं 8 बजे ऑफिस पहुँच जाऊँगा…” रहुल ने डरते ही जवाब दिया.. और अमित ने बिना कुछ कहे फोन काट दिया.
राहुल धक् से पास पडी कुर्सी पर बैठ गया…..उसकी साँसे बहुत तेज़ चल रही थी. उसके आखों के सामने वो स्टाम्प पेपर घुमाने लगा जिसमे उसकी गुलामी की शर्तें लिखी हुई थी और वो साइन करके आया था.
“मैं राहुल गुप्ता सन ऑफ़ कैलाश कुमार गुप्ता, अपने पुरे होशो हवाश में ये कुबूल करता हूँ की मैंने अपने कंपनी अमित अगरवाल एंड एसोसिएट्स से ५ लाख का गबन किया है जिसका पूरा प्रमाण मेरे कंपनी अध्यक्ष श्री अमित अगरवल के पास है. अब जब ये साबित हो गया है की मैंने ५ लाख कंपनी से गबन किये है, मैं कानून के द्वारा निर्धारित सज़ा का हकदार हूँ. पर श्री अमित अगरवाल ने मेरे ऊपर दया दिखाकर मुझे पुलिस के हवाले नहीं किया है बल्कि मुझे 4 महीने के लिए उनकी गुलामी करने का अवसर दिया है जो मैंने सहर्ष स्वीकार कर लिया है. उनकी इस दया के बदले मैं अपनी इच्छा से श्रीअमित अगरवाल के यहाँ गुलाम बनकर अपना 5 लाख का क़र्ज़ चुकाने के लिए 4 महीने के लिए गुलामी बिना किसि शरत के करने के लिए तैयार हूँ. श्री अमित अगरवाल गुप्ता द्वारा रखी गयी निम्नलिखित शर्तें मुझे पूरी तरह मंजूर है.
गुलाम यानी दास के रूप में मैं मेरे मालिक श्री अमित अगरवाल तथा उनके द्वारा अधिकरित कहे गये किसी भी व्यक्ति के सभी काम करने में कोई झिझक नहीं दिखाऊंगा. कार्य किसी भी तरह का या किसी भी निम्न स्तर का क्यों न हूँ, मुझे उसे न करने का कोई अधिकार नहीं होगा. मना करने की स्तिथि में या फिर कहे गये कार्य को ठीक से न किये जाने की स्तिथि में मैं सजा का अधिकारी हूँगा. ये सजा मालिक या उनके द्वारा अधिकृत किसी भी व्यक्ति के द्वारा दी जा सकेगी और सजा का निर्णय पूरी तरह से मेरे मालिक पर रहेगा. मुझे किसी भी तरह का विरोध करने का अधिकार नहीं होगा. इस सजा की वजह से अगर शारीर पर कोई क्षति या नुक्सान होता है तो मुझे शिकायत करने का कोई अधिकार नहीं होगा.
गुलाम के रूप में मुझे पूर्णतया नग्न रहना होगा. पूर्णतया नग्न अर्थात किसी भी तरह के वस्त्र जैसे अंडरवियर या बनियान आदि भी नहीं. यानि की आज से लेकर अगले 4 महीने तक मुझे किसी भी तरह के वस्त्र पहनने का अधिकार नहीं होगा. यह शर्त घर के अन्दर तथा बाहर सभी जगह लागू होगी. घर में आये किसी भी महमान के सामने भी मुझे पूर्णतया नग्न रहना होगा.
अपने शःरीर पर सिर के अलावा कही भी बाल रखने का अधिकार नहीं होगा. इसका मतलब मुझे नियमित अंतराल पर अपने शारीर के बालो को शेव् करना होगा. इस नियम पर कोई कोताही बरतने पर मैं सजा का अधिकारी होउंगा.
सांस लेने के अलावा कोई भी कार्य बिना मालिक मकान की आज्ञा के नहीं कर सकूंगा. मल मूत्र विसर्जन के लिए पूरी तरह से मकान मालिक या उनके द्वारा अध्रिकृत व्यक्ति की आज्ञा पर निर्भर रहूँगा.
अपने यौन अंगों पर मेरा कोई अधिकार नहीं होगा. किसी भी तरह से किया जाने वाला वीर्य स्खलन, चाहे जन बूझ कर या अनजाने में, कड़ी से कड़ी सजा का अधिकारी हूँगा. अपने यौन अंगों को जैसे लंड, गांड और अण्डकोश (balls) को छूने का कोई अधिकार नहीं होगा. किसी भी उत्तेजना की स्तिथि में तुरंत मालिक या इसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति को सूचित करूंगा. ये पूरी तरह से मेरे मालिक के हाथ में होगा की वो मुझे वीर्य स्खलन या हस्थ्मैथुन की आज्ञा दे या न दे. मुझे किसी भी तरह के विरोध करने का अधिकार नहीं होगा.
मेरे मालिक या उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति मेरे शारीर को पूरी तरह से उपयोग कर सकेगा अपनी यौन इच्छा शांत करने के लिए. यानी की वो जब भी चाहे मेरी गांड मार सकेनेगे. मुझे किसी भी तरह के विरोध करने का कोई अधिकार नहीं होगा.
मैं अपने सारे मानव अधिकारों को अपने मकान मालिक के हाथ में सोम्प्ता हूँ और किसी भी तरह की शिकायत मैं पुलिस या मानव अधिकार आयोग या किसी गैर सरकारी संस्था से नहीं करूंगा.
किसी भी तरह से भागने की स्तिथि में, मेरे मालिक को पुलिस के पास जाकर शिकायत करने का पूर्ण अधिकार होगा. ऐसी स्तिथि में अपने द्वारा गबन किये गए रुपये तुरंत लोताने होंगे ब्याज के साथ. ब्याज दरें 10% महिना होगी.

हस्ताक्षर
(राहुल गुप्ता)”
वो स्टैम्प पेपर कि सारी शर्तों के बारे मे सोचने लगा और उसका लंड पत्थर की तरह सख्त हो गया. अनायास ही उसका हाथ अपने लंड पर पहुँच गया और वो उसको जोर जोर से दबाने लगाने लगा…
to be continued......

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