ये स्टोरी मोहित गुप्ता ने लिखी है जिसका Facebook profile है. (https://www.facebook.com/profile.php?id=100008519401441). अपना फीडबैक उसके फेसबुक पेज पर दे सकते है आप.
प्रतीक 30 साल का बांका नौजबान था। ऊपर से जितना वो कूल दिखता था। अंदर से उसके स्वभाव में उतनी ही सख्ती छिपी थी। उसकी नजर हर समय ऐसे लोगों पर रहती। जिनको वो आसानी से अपने तलवे चाटने पर मजबूर कर सके। जब तक वो दिल्ली में रहा। आसानी से उसे अपनी सेवा करने वाले शिकार मिलते रहे। शिकार भी ऐसे कि उसके अंदाज पर फिदा होकर खुद ही उसकी सेवा में खिंचे चले आते। अचानक उसकी कम्पनी ने उसका ट्रांसफर्र कर्नाटक में कर दिया। आनन फानन में उसे दिल्ली छोड़कर कर्नाटक शिफ्ट होना पड़ा। यहां पर आकर उसे कुछ खास अच्छा नहीं लगा लेकिन मजबूरी थी सो उसे जाॅब करनी थी।
लेकिन जब वो पहले ही दिन कम्पनी के आफिस पहुंचा तो उसकी पारखी निगाहों में पहली नजर में ही भांप लिया कि वो यहां भी अपनी अलग दुनिया के मजे ले सकता है। उसका पहला शिकार उसकी नजर के सामने था। उसकी ही कम्पनी का 35 वर्षीय बाॅस सुधाकर। पहली नजर में ही प्रतीक भांप गया कि सुधाकर को वह अपने तलवे चाटने पर मजबूर कर सकता है। एक बार यदि वो सुधाकर को अपने जूतों की ठोकरों में लाने में कामयाब हो जाता तो उसकी तो आफिस में ऐश कटनी तय थी। वह चुपचाप अपने प्लान को अंजाम देने में लग गया। जहां चाह वहां राह। एक दिन फेसबुक पर चेट के दौरान उसे एक मैसेज आया। जिसमें 35 साल के मर्द गुलाम ने उसकी सेवा की इच्छा जतायी। प्रतीक के डोमीनेटिंग स्टाइल का वो फैन हो गया। एक दिन जब प्रतीक ने अपने इस नये गुलाम की तस्वीरें देंखी तो उसकी तो चांदी कट गयी। यह और कोई नहीं उसका अपना ठरकी बाॅस सुधाकर था। प्रतीक न तो जल्दबाजी के मूड़ में था एवं न ही वह रिस्क के लेने के मूड़ में था। कुछ ही दिनों की चैटिंग के बाद वो अपने रंग में आने लगा। अब वो आॅनलाइन टास्क भी देने लगा। सुधाकर इसमें मजे लेता तथा टास्क को पूरा करता। एक दिन प्रतीक ने सुधाकर को उसके चैम्बर में नंगा होकर मुर्गा बनने को कहा ओर कहा कि कुछ भी हो जाये तब तक उसका फोन नहीं बजेगा उसे मुर्गा बनकर ही रहना है। सुधाकर सारे कपड़े उतारकर अपने चैम्बर के बाथरूम में खड़ा था। सुधाकर के चैम्बर में बिना उसकी इजाजत के सीधे कोई भी दाखिल नहीं हो सकता था। इसलिए उसने दरवाजा बंद नहीं किया। प्रतीक उसे स्काईप पर देख रहा था। प्रतीक ने उसे एक लम्बी रस्सी लेकर उससे अपने अंडकोष को बांधने एवं उससे एक फाइल को लटकाने को हुकुम दिया। कुछ ही देर में सुधाकर ने अपने आंडों पर रस्सी बांधकर एक फाइल को लटका दिया। फाइल हवा में झूल रही थी तो सुधाकर का 7 इंची लंड तनतना रहा था। प्रतीक ने उसे अब मुर्गा बनने का हुकुम दिया। वीडियों में उसे मुर्गा बना हुआ अपना बाॅस बड़ा अच्छा लग रहा था। अब उसका मन कर रहा था कि वह उसकी गांड पर ठोकरें मारे लेकिन वह सब कुछ अपने कंट्रोल में लेना चाहता था। इधर उसने अपने गुलाम के फोन पर उसे फ्री करने के लिए घंटी दी, उसी के साथ उसने बाॅस के चैम्बर के डोर को धीरे से धक्का दिया और बाॅस को आवाज देते हुए अंदर घुस गया। तेजी से प्रतीक के आने के चलते सुधाकर
हड़बड़ा कर उठा तो बाथरूम के खुले दरवाजे के सामने उसे प्रतीक नजर आया। ज्यों ही सुधाकर हड़बड़ा कर उठा उसका तनतनाया लंड तोप की सी सलामी देते हुए प्रतीक की नजरों के सामने था। लंड से बंधी फाइल नीचे झूल रही थी। बाॅस ये क्या हो रहा है। तुम गांडू हो क्या। अचानक प्रतीक ने अपना मोबाइल निकाला ओर मूबी बनानी शुरू कर दी। गुलामी के मजे को भूल चुके सुधाकर की हालात पतली हो चुकी थी। प्लीज प्रतीक ये बात यही रहने दो। ये तो आपको ध्यान रखना चाहिए कि आप कम्पनी की ड्यूटी कर रहे हो। मैं अभी हेड आफिस को मेल करता हूं इस मूवी के साथ। सुधाकर गिडगिड़ा कर उसके पैरों में पड़ा था। प्रतीक को ये रियल गुलाम अच्छा लग रहा था। अब उसे पक्का भरोसा था कि उसे असली मजा आने वाला है। प्रतीक ने अपने जूते की ठोकर सुधाकर के चेहरे पर मारते हुए कहा कि तुम जैसे सुअरों के चलते ही कम्पनी घाटे में जा रही है। सुधाकर ने प्रतीक के पांवों को जकड़ते हुए उसके जूतों में सिर रख दिया ओर बोला तुम जो मांगोगे वो दूंगा लेकिन प्लीज इस बात को ही दफन कर दो। ठीक है सोचूंगा लेकिन तुम मुर्गा बने ज्यादा अच्छे लग रहे थे चलो इतने मैं सोचता हूं कि तमसे क्या डील हो। तुम फिर से मुर्गा बन जाओ। सुधाकर पलक झपकते ही मुर्गा बन गया। अभी वो जब किसी मास्टर की गुलामी कर रहा था तो उसका लंड फनफनाया था। अब हालात बदल चुके थे। उसका लंड सिकुड़ा हुआ था। प्रतीक ने अपने जूते की ठोकर को सुधाकर की गांड की दरार में लगाकर गांड को उठाने का इशारा किया तो जूते की नोंक के एहसास में फिर से सुधाकर का लंड जमहाई सा लेने लगा। अचानक जूते की जोरदार ठोकर सुधाकर के गांड की दरार पर मारकर प्रतीक बोला हरामी इतने पर भी मजे ले रहा है साले गांडू कुत्ते। ठोकर इतनी तेज थी कि सुधाकर दूर जाकर गिरा। चूतड़ों को सहलाते हुए सुधाकर सीधा भी नहीं हुआ था कि प्रतीक बोला हरामी मुर्गा बन फिर से। फिर से सुधाकर मुर्गा बनकर खड़ा हो गया। पूरे आफिस में प्रतीक के जूतों की ठोकरों को खाकर सुधाकर मुर्गा बनकर उछलता रहा। 10 मिनट बाद प्रतीक रूका। अब उसने आफिस से फाइलों का ढेर उठाया और मुर्गा बने सुधाकर के चूतड़ों पर रख दिया और खुद सिगरेट के छलले बनाकर उसकी कुर्सी पर बैठ गया। पीठ पर वजन रखे सुधाकर मुर्गा बना था तो नीचे उसके लंड से बंधी फाइल लटक रही थी। प्रतीक को सुधाकर की गांड का गोल छेद चमक रहा था। मुर्गा बने होने की जगह छेद ज्यादा ही खुला था। प्रतीक ने उसकी गांड के छेद पर आक थू करके ढेर सारा थूक दिया। मजबूर सुधाकर सब कुछ झेल रहा था। उसे अपनी गलती का पछतावा हो रहा था लेकिन प्रतीक कुछ ज्यादा ही मजे के मूड़ में था। उसने आफिस के टायलेट में रखे ब्रुश को उठाकर सुधाकर की गांड के छेद में डाल कर तुझ जैसे गांडूओं के साथ यही होना चाहिए। प्रतीक का हाथ ज्योंहि उसके लंड से छुआ। उसे मजा आने लगा। प्रतीक वोला सुन वे हरामी मैं अपनी जुबान बंद रखंूगा लेकिन तु मुझे पचास लाख रूपये देगा। सुधाकर ने कहा मैं इतना नहीं कर सकता। प्रतीक ने कहा ठीक है फिर तू मुझे 5 लाख रूपये देगा ओर बाकी की रकम के लिए मैं तुझको रोज मुर्गा बनाकर पीटूंगा। सुधाकर ने हामी भर दी। सुधाकर को 20 मिनट मुर्गा बनाने के बाद रिहा किया। शाम को एक दफा फिर से प्रतीक उसके चैम्बर में आया। सुधाकर ने उसकी ओर देखा। प्रतीक बोला। आज की सजा भी देनी है तुझको। चल सभी को घर भेज दे। आफिस से सभी के जाने के बाद उसने सुधाकर को नंगा होने का इशारा किया। सुधाकर एक दफा फिर से आफिस में मुर्गा बनकर खड़ा था। प्रतीक ने पीछे जाकर उसकी गांड उसी के दोनों जूतों को रखकर उसे आफिस के बाहर चलने का इशारा किया। सुधाकर अपने ही आफिस के बीचों बीच मुर्गा बनकर खड़ा था। अब प्रतीक का 10 इंची लंड तनतना कर खड़ा था। सुधाकर की हालात खराब थी लेकिन प्रतीक का सपना दूसरे शहर में आकर इस अंदाज में पूरा हुआ कि उसे अपनी किस्मत पर फर्क महसूस हो रहा था। इधर सुधाकर मुर्गा बना अपनी गांड फटने की तैयारी कर रहा था। उधर प्रतीक अपने प्लान को और स्पाइसी बनाने की जुगत में था।
to be continued.....
प्रतीक 30 साल का बांका नौजबान था। ऊपर से जितना वो कूल दिखता था। अंदर से उसके स्वभाव में उतनी ही सख्ती छिपी थी। उसकी नजर हर समय ऐसे लोगों पर रहती। जिनको वो आसानी से अपने तलवे चाटने पर मजबूर कर सके। जब तक वो दिल्ली में रहा। आसानी से उसे अपनी सेवा करने वाले शिकार मिलते रहे। शिकार भी ऐसे कि उसके अंदाज पर फिदा होकर खुद ही उसकी सेवा में खिंचे चले आते। अचानक उसकी कम्पनी ने उसका ट्रांसफर्र कर्नाटक में कर दिया। आनन फानन में उसे दिल्ली छोड़कर कर्नाटक शिफ्ट होना पड़ा। यहां पर आकर उसे कुछ खास अच्छा नहीं लगा लेकिन मजबूरी थी सो उसे जाॅब करनी थी।
लेकिन जब वो पहले ही दिन कम्पनी के आफिस पहुंचा तो उसकी पारखी निगाहों में पहली नजर में ही भांप लिया कि वो यहां भी अपनी अलग दुनिया के मजे ले सकता है। उसका पहला शिकार उसकी नजर के सामने था। उसकी ही कम्पनी का 35 वर्षीय बाॅस सुधाकर। पहली नजर में ही प्रतीक भांप गया कि सुधाकर को वह अपने तलवे चाटने पर मजबूर कर सकता है। एक बार यदि वो सुधाकर को अपने जूतों की ठोकरों में लाने में कामयाब हो जाता तो उसकी तो आफिस में ऐश कटनी तय थी। वह चुपचाप अपने प्लान को अंजाम देने में लग गया। जहां चाह वहां राह। एक दिन फेसबुक पर चेट के दौरान उसे एक मैसेज आया। जिसमें 35 साल के मर्द गुलाम ने उसकी सेवा की इच्छा जतायी। प्रतीक के डोमीनेटिंग स्टाइल का वो फैन हो गया। एक दिन जब प्रतीक ने अपने इस नये गुलाम की तस्वीरें देंखी तो उसकी तो चांदी कट गयी। यह और कोई नहीं उसका अपना ठरकी बाॅस सुधाकर था। प्रतीक न तो जल्दबाजी के मूड़ में था एवं न ही वह रिस्क के लेने के मूड़ में था। कुछ ही दिनों की चैटिंग के बाद वो अपने रंग में आने लगा। अब वो आॅनलाइन टास्क भी देने लगा। सुधाकर इसमें मजे लेता तथा टास्क को पूरा करता। एक दिन प्रतीक ने सुधाकर को उसके चैम्बर में नंगा होकर मुर्गा बनने को कहा ओर कहा कि कुछ भी हो जाये तब तक उसका फोन नहीं बजेगा उसे मुर्गा बनकर ही रहना है। सुधाकर सारे कपड़े उतारकर अपने चैम्बर के बाथरूम में खड़ा था। सुधाकर के चैम्बर में बिना उसकी इजाजत के सीधे कोई भी दाखिल नहीं हो सकता था। इसलिए उसने दरवाजा बंद नहीं किया। प्रतीक उसे स्काईप पर देख रहा था। प्रतीक ने उसे एक लम्बी रस्सी लेकर उससे अपने अंडकोष को बांधने एवं उससे एक फाइल को लटकाने को हुकुम दिया। कुछ ही देर में सुधाकर ने अपने आंडों पर रस्सी बांधकर एक फाइल को लटका दिया। फाइल हवा में झूल रही थी तो सुधाकर का 7 इंची लंड तनतना रहा था। प्रतीक ने उसे अब मुर्गा बनने का हुकुम दिया। वीडियों में उसे मुर्गा बना हुआ अपना बाॅस बड़ा अच्छा लग रहा था। अब उसका मन कर रहा था कि वह उसकी गांड पर ठोकरें मारे लेकिन वह सब कुछ अपने कंट्रोल में लेना चाहता था। इधर उसने अपने गुलाम के फोन पर उसे फ्री करने के लिए घंटी दी, उसी के साथ उसने बाॅस के चैम्बर के डोर को धीरे से धक्का दिया और बाॅस को आवाज देते हुए अंदर घुस गया। तेजी से प्रतीक के आने के चलते सुधाकर
हड़बड़ा कर उठा तो बाथरूम के खुले दरवाजे के सामने उसे प्रतीक नजर आया। ज्यों ही सुधाकर हड़बड़ा कर उठा उसका तनतनाया लंड तोप की सी सलामी देते हुए प्रतीक की नजरों के सामने था। लंड से बंधी फाइल नीचे झूल रही थी। बाॅस ये क्या हो रहा है। तुम गांडू हो क्या। अचानक प्रतीक ने अपना मोबाइल निकाला ओर मूबी बनानी शुरू कर दी। गुलामी के मजे को भूल चुके सुधाकर की हालात पतली हो चुकी थी। प्लीज प्रतीक ये बात यही रहने दो। ये तो आपको ध्यान रखना चाहिए कि आप कम्पनी की ड्यूटी कर रहे हो। मैं अभी हेड आफिस को मेल करता हूं इस मूवी के साथ। सुधाकर गिडगिड़ा कर उसके पैरों में पड़ा था। प्रतीक को ये रियल गुलाम अच्छा लग रहा था। अब उसे पक्का भरोसा था कि उसे असली मजा आने वाला है। प्रतीक ने अपने जूते की ठोकर सुधाकर के चेहरे पर मारते हुए कहा कि तुम जैसे सुअरों के चलते ही कम्पनी घाटे में जा रही है। सुधाकर ने प्रतीक के पांवों को जकड़ते हुए उसके जूतों में सिर रख दिया ओर बोला तुम जो मांगोगे वो दूंगा लेकिन प्लीज इस बात को ही दफन कर दो। ठीक है सोचूंगा लेकिन तुम मुर्गा बने ज्यादा अच्छे लग रहे थे चलो इतने मैं सोचता हूं कि तमसे क्या डील हो। तुम फिर से मुर्गा बन जाओ। सुधाकर पलक झपकते ही मुर्गा बन गया। अभी वो जब किसी मास्टर की गुलामी कर रहा था तो उसका लंड फनफनाया था। अब हालात बदल चुके थे। उसका लंड सिकुड़ा हुआ था। प्रतीक ने अपने जूते की ठोकर को सुधाकर की गांड की दरार में लगाकर गांड को उठाने का इशारा किया तो जूते की नोंक के एहसास में फिर से सुधाकर का लंड जमहाई सा लेने लगा। अचानक जूते की जोरदार ठोकर सुधाकर के गांड की दरार पर मारकर प्रतीक बोला हरामी इतने पर भी मजे ले रहा है साले गांडू कुत्ते। ठोकर इतनी तेज थी कि सुधाकर दूर जाकर गिरा। चूतड़ों को सहलाते हुए सुधाकर सीधा भी नहीं हुआ था कि प्रतीक बोला हरामी मुर्गा बन फिर से। फिर से सुधाकर मुर्गा बनकर खड़ा हो गया। पूरे आफिस में प्रतीक के जूतों की ठोकरों को खाकर सुधाकर मुर्गा बनकर उछलता रहा। 10 मिनट बाद प्रतीक रूका। अब उसने आफिस से फाइलों का ढेर उठाया और मुर्गा बने सुधाकर के चूतड़ों पर रख दिया और खुद सिगरेट के छलले बनाकर उसकी कुर्सी पर बैठ गया। पीठ पर वजन रखे सुधाकर मुर्गा बना था तो नीचे उसके लंड से बंधी फाइल लटक रही थी। प्रतीक को सुधाकर की गांड का गोल छेद चमक रहा था। मुर्गा बने होने की जगह छेद ज्यादा ही खुला था। प्रतीक ने उसकी गांड के छेद पर आक थू करके ढेर सारा थूक दिया। मजबूर सुधाकर सब कुछ झेल रहा था। उसे अपनी गलती का पछतावा हो रहा था लेकिन प्रतीक कुछ ज्यादा ही मजे के मूड़ में था। उसने आफिस के टायलेट में रखे ब्रुश को उठाकर सुधाकर की गांड के छेद में डाल कर तुझ जैसे गांडूओं के साथ यही होना चाहिए। प्रतीक का हाथ ज्योंहि उसके लंड से छुआ। उसे मजा आने लगा। प्रतीक वोला सुन वे हरामी मैं अपनी जुबान बंद रखंूगा लेकिन तु मुझे पचास लाख रूपये देगा। सुधाकर ने कहा मैं इतना नहीं कर सकता। प्रतीक ने कहा ठीक है फिर तू मुझे 5 लाख रूपये देगा ओर बाकी की रकम के लिए मैं तुझको रोज मुर्गा बनाकर पीटूंगा। सुधाकर ने हामी भर दी। सुधाकर को 20 मिनट मुर्गा बनाने के बाद रिहा किया। शाम को एक दफा फिर से प्रतीक उसके चैम्बर में आया। सुधाकर ने उसकी ओर देखा। प्रतीक बोला। आज की सजा भी देनी है तुझको। चल सभी को घर भेज दे। आफिस से सभी के जाने के बाद उसने सुधाकर को नंगा होने का इशारा किया। सुधाकर एक दफा फिर से आफिस में मुर्गा बनकर खड़ा था। प्रतीक ने पीछे जाकर उसकी गांड उसी के दोनों जूतों को रखकर उसे आफिस के बाहर चलने का इशारा किया। सुधाकर अपने ही आफिस के बीचों बीच मुर्गा बनकर खड़ा था। अब प्रतीक का 10 इंची लंड तनतना कर खड़ा था। सुधाकर की हालात खराब थी लेकिन प्रतीक का सपना दूसरे शहर में आकर इस अंदाज में पूरा हुआ कि उसे अपनी किस्मत पर फर्क महसूस हो रहा था। इधर सुधाकर मुर्गा बना अपनी गांड फटने की तैयारी कर रहा था। उधर प्रतीक अपने प्लान को और स्पाइसी बनाने की जुगत में था।
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