Friday, 22 September 2017

तहखाना - 1


“बचाओ……..कोई मुझे बचाओ……” सुमित जोर जोर से चीखने लगा, जैसे ही सुमित की आँखें खुली और वो होश में आया. सुमित कि आँखों के आगे अंधेरा था जैसे किसी कपड़े से उसे बंधा गया हो. वो एक खम्भे जैसी चीज़ से बंधा था और उसके दोनों हाथ रस्सी से उसकी चुतड के पास बंधे थे. एक रस्सी उसकी छाती के पास काफी सख़्ती से बंधी गयी थी जो उसको सख्ती से खम्बे से बंधे हुए थी और उसके हाथ जो उसके पीछे बंधे थे उनको भी कंधे के पास से खम्भे पर बंधा गया था. इतना ही नहीं उसके पैर भी एक मोटे लकड़ी के टुकड़े से बंधे हुए थे और वो लकड़ी का टुकड़े को खम्भे के पीछे की तरफ बंधा गया था और उनको ऐसे बंधा गया था की उसकी टांगें काफी दुरी पर थी. इस तरह से वो इस खम्बे से बहुत सख्ती से बंधा था.  ये खम्बा काफी चौड़ा था और ऐसे लगा जैसे किसी तहखाने का हो. उसकी गूंजती आवाज़ उसे ये बता रही थी की ये एक खाली जगह थी और इस जगह की ठंडक बता रही थी की ये कोई तहखाने जैसे जगह थी. “कोई मुझे बचाओ…..कोई है….” वो फिर से बस जोर जोर से चीखने लगा. वो यहाँ कैसे आया ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था. वो  तो बार में अकेले बियर पीने एक बार में गया था. वहां एक बन्दे ने उसके साथ बैठने की परमिशन मांगी थी. उसने अपना नाम शिशिर बताया था.  वो दिखने में काफी स्मार्ट था और बात करने में भी. बातो बातो सुमित को पता चला था की वो एक मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव है, जो उसकी पर्सनालिटी को देख कर लग भी रहा था. वो इस बार में पहली बार आया था पर शिशिर की सारे बार टेंडरों से दोस्ती थी. उन दोनों ने थोड़ी देर तक बियर पी और तभी सुमित का सर चकराने लगा था. उसे ऐसे लगा की मेरी बियर में कुछ मिला है. कुछ ही मिनटों में उसे बेहोश सा लगने लगा, सुमित ने शिशिर से पुछा भी पर उसने कुछ जवाब नहीं दिया और वो बेहोश हो गया. उसके बाद जब आँख खुली तो अपने आप को ऐसे पाया. चूंकि सुमित की आखें बंद थी, उसको पता नहीं था की वो कहाँ है. तभी एक दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आयी और जूतों की आवाज़ आई, जैसे कोई सीडियो से उतर रहा हो. धीरे धीरे वो आवाज़ सुमित के पास आ गयी. “कौन है….कौन है वहां…..” सुमित डर के मारे फिर से चीखने लगा…..पर बिना जवाब दिए, एक हाथ की उंगलियाँ उसके गाल को सहलाने लगी. उसने जोर से अपने चेहरे को झटका. पर वो उंगलियाँ रुकी नहीं. कुछ देर गाल सहलाने के बाद वो उंगलियाँ उसको छाती की और बड़ी और उसके निप्पलों को सहलाने लगी. “ कौन हो तुम और क्या चाहते हो….छोड़ो मुझे….” सुमित चिल्लाता रहा. पर उंगलियाँ उसके निप्पलों को सहलाती रही. उसकी चीखों में उत्तेजना की आवाज़ मिक्स होने लगी. “अआः…….कौन…..आः…..हो तुम….आःह्ह्ह...क्या चाहते हो…..अआह्हह…..”. उस आदमी ने कोई जवाब नहीं दिया…..निप्पलों की सरसराहट से सुमित का लंड खड़ा होने लगा… अचानक वो हाथ सुमित की पैंट के बटन की तरफ बड़ा...और उसकी कमर पर घुमने लगा...इससे सुमित के शरीर में आग जलने लगी और लंड भी खून से भरने लगा….वो हाथ फिर सुमित के पैंट के उभार की और बड़ा और जोर जोर से सुमित के लंड को दबाने लगा….”अब सुमित पागाल सा हो गया…..”कौन हो तुम….और क्या चाहते हो…….आआह्ह्ह…………..उम्म्मम्म……...छोड़ दो मुझे…...उम्म्मम्म…..”पर वो हाथ जोर जोर से सुमित के लंड को दबाता रहा….”आआह्ह्ह……..ऊउम्मम्म……” अचानक वो हाथ रुका और सुमित को अहसास हुआ की उस आदमी में अपनी जेब से कुछ निकाला. और एक दम सुमित को लगा की उस आदमी ने सुमित की टी शर्ट पकड़ी है……”चार्र्र्रर्र्र………….चर्र्र्रर्र्र्र……….” इससे पहले की सुमित कुछ समझ पाता उसको अहसास हुआ की उसकी टी शर्ट फट चुकी है. उस आदमी ने झटके से उस टी शर्ट को उन रस्सियों से बहार निकाला. अब वो ऊपर से पूरा नंगा था. उस आदमी का मुह सुमित की छाती के पास आया और उसके निप्पलों की चाटने लगा. “नहीं……...प्लीज……. मुझे छोड़ दो… आआह्ह्ह…….आह…..” उसके निप्पलों पर घुमती हुई उस आदमी की जीभ सुमित को पागल कर रही थी. साथ ही उस आदमी का दूसरा हाथ सुमित की कमर पर घूम रहा था जो सुमित को उत्तजित करने के लिए काफी था. अचानक वो आदमी रुका और दोनों हाथो से सुमित की पैंट का बटन खोला और अपना हाथ सुमित की पैंट के अन्दर घुसाया. उसकी उंगलियाँ सुमित के अंडरवियर से होती हुई उसके लंड को छूने लगी. सुमित को एक करंट लगा...और वो आहें भरने लगा…”आःह्ह्ह…...उम्म्म्म…..कौन हो तुम. मुझे छोड़ दो…...आःह्ह्ह…..” “हा हा हा हा हअहः…….” अचानक वो आदमी हंसाने लगा….”क्यों बे हरामी.. एक तरफ तो छोड़ दो कह रहा है और दूसरी तरफ तेरा लंड तो खूब मजे ले रहा है…..”सुमित ने पहली बार उस आदमी की आवाज़ सुनी और वो उसे पहचानने की कोशिश करने लगा. उसे वो आवाज़ वैसे जानी पहचानी लगी. “साले  तेरा टपकता हुआ लंड तो कुछ और ही कह रहा है.”... उस आदमी ने फिर से बोला….सुमित भी एक मिनट के लिए कंफ्यूज हो गया…”कौन हो तुम….क्या चाहिए तुम्हे….छोड़ दो मुझे……” इस बार उसने कोई जवाब नहीं दिया और अपने उँगलियों को सुमित के लंड के सुपाडे पर घुमाता रहा. सुमित का लंडा पूरी तरह से सख्त हो गया और उसका प्रिकम उस आदमी की उँगलियों में लग रहा था. कुछ सेकंड्स अपनी उँगलियों को सुमिट के सुपाडे पर घुमाने के बाद उसने अपनी उंगलियाँ निकाली और सुमित के होठों पर लगा दी. “साले चाट अपना पानी.: सुमित ने ज़िन्दगी में पहली बार अपना प्री कम चाटा. फिर धीरे से उस आदमी ने पैंट की ज़िप खोली और सुमित की पैंट को नीचे खिसका दिया उसके घुटने तक. सुमित बंद आखों से इस पुरे नज़ारे को महसूस कर रहा था जोकि उसको और उत्तेजित कर रहा था. एक अनजान आदमी जिसे वो देख भी नहीं सकता, एक एक करके उसके कपडे उतार रहा है और वो कुछ नहीं कर पा रहा, ये अहसास उसको डर से मिश्रित उत्तेजना को बड़ा रहा था और उसके शरीर कामाग्नि में जलने लगा.

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