बात आंठ्वी क्लास की है. हमारा स्कूल बॉयज स्कूल था. सिर्फ लड़के ही स्टूडेंट्स और मर्द टीचर्स. सिवाय कुछ क्लेरिकल स्टाफ के पुरे स्कूल में कोई लड़की नहीं थी. स्कूल का नाम discipline के लिए पुरे स्टेट में जाना जाता था. 6-7 क्लास से मुझे अपन लंड पर कण्ट्रोल करना मुश्किल था. मुझे अपने अन्दर हो रहे बदलाव पर घबराहट हो रही थी. जैसे कभी भी मेरा लंड खड़ा हो जाता था या फिर कई बार रात में सोते सोते झड जाता था. और मेरी निक्कर पूरी सनी होती थी वीर्य से. उस समय मुझे कुछ भी ज्ञान नहीं था की ये सब क्या है. मैं इसे अपने शरीर का कोई डिफेक्ट समझ कर घबराते रहता था. कभी किसी से शेयर नहीं किया. मैं एक गरीब परिवार से तालुक रखता था और बड़ी मुश्किल से स्कूल की फीस दी जाती थी. मेरे परिवार के पास अंडरवियर के लिए भी पैसे नहीं थे. किसी तरह से मेरे पिताजी मुझे पदालिखा कर कुछ बनाना चाहते थे. मैं पढाई में ठीक ठाक था. जा ज्यादा बुरा ना ज्यादा बढ़िया.
पर हमारे स्कूल के मैथ के सर बहुत सख्त थे. मैं ठीक ठीक ठाक था इसीलिए ज्यादा सज़ा नहीं मिल टी अभी तक. पर स्केल से पिटाई, मुर्गा बनाना या फिर कुर्सी की तरह घुटने से मोड़कर खड़े होने की सज़ा तो बहुत बार स्टूडेंट्स को मिलती थी. उसके अलावा अगर थप्पड़ पड़ जाए तो तो असलियत में आसमान के तारे दिखाई दे जाते थे दिने में.
बात एक दिन की है जब मैथ टीचर ने क्लास टेस्ट लिया और मैं फ़ैल हो गया. इतना ही नहीं मेरे 50 में से 10 मार्क्स आये. जो की पुरे क्लास में सबसे कम थे. उसकी वजह ये थी की उससे पहले एक हफ्ते मैं शहर से बाहर अपने मामा की शादी में गया था. जैसे ही मैंने अपने मार्क्स सुने मेरा दिल जोर जोर से धरकने लगा. अचानक हाथों पैरों में से जान निकलने लगी. क्लास में सिर्फ मैं ही ऐसा था जिसके सबसे कम मार्क्स आये थे. मैंने काफी कोशिश की सर को समझाने की पर सर ने एक न सुनी. सर ने हमेशा के लिए ऐसा रूल बनाया था की सबसे कम मार्क्स लाने वाले पांच स्टूडेंट्स को वो सज़ा देते थे. ये पहली बार था की मेरे सबसे कम मार्क्स आये थे. सर ने पांच स्टूडेंट्स जिनके सबसे कम मार्क्स आये थे उनको बाहर बुलाया जिसमे मैं भी था. मेरा लंड उस समय पूरा खड़ा हो गया और मेरी पैंट में एक उभार अलग से दिख रहा था. मैं शर्मा रहा था की और लोग क्या सोचानेगे मेरे बारे में. पहले सोचा की अपने शर्ट पैंट से बाहर निकाल लूं पर स्कूल में उसकी इजाज़त नहीं थी. मैंने अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ करके अपने लंड को छुपाने की कोशिश करी और क्लास से बाहर जाकर बाकी चार लोगो के साथ खड़ा हो गया. सर ने टेस्ट में टॉप करने वाले स्टूडेंट गौरव को बुलाया और हम पाचों को पांच पांच थप्पड़ मारने को कहा. गौरव झिझका क्यूंकि वो किसी स्टूडेंट से पंगा नहीं लेना चाहता था. पर सर ने उसे चिल्लाकर कहा की अगर वो नहीं मारेगा तो उसका भी वोही हश्र होगा जो हम लोगो का हो रहा था. गौरव ने एक एक करके सबके पांच थप्पड़ मारे. सबसे बाद में मेरा नंबर था. सर ने चिल्लाकर गौरव को मुझे सबसे जोर से मारने को कहा. गौरव ने ऐसा ही किया. उसके पांच थप्पड़ से मेरा सिर घूम गया और मेरे गाल पर उसकी पाँचों उंगलियाँ छाप गयी. पर थप्पड़ खाते ही मेरे लंड ने जोर से झटके खाए और मैंने जैसे नीचे देखा मेरे पैंट पर एक गीला डॉट था जहाँ मेरा लंड का ऊपर का हिस्सा था. उस समय मैं और घबरा गया क्यूंकि मुझे डर था की लोग न देखे.
उसके बाद सर ने हम पाँचों को मुर्गा बनाया और हमारी चुतड पर 10-10 डंडियाँ मारी. मेरा दर्द से बुरा हाल हो गया था और मैंने नोटिस किया की मेरे पन्त का धब्बा और बड़ा होता जा रहा था. मेरे लंड में से कुछ निकल रहा था ज मेरी पन्त पर साफ़ दिख रहा था. मुझे नहीं पता था की वो क्या है. उसके बाद सर ने आदेश दिया की हम सब लोगो को मुर्गा बनाकर चलना है और कानों को भी नहीं छोड़ना है. अगर कान छूटे तो वो पीछे से हमारी चुतड पर जोर से डंडियाँ मारेंगे. और ऐसा ही हुआ. मुझे पता ही नहीं चला की मेरी चुतड पर सर ने कितनी डंडियाँ मारी. क्यूंकि हर बार मेरा हाथ छुटता या चुतड नीची होती तो सर की डंडी मेरी चुतड पर पड़ती और मैं दर्द में चीखता. हम पांचों का ये ही हाल था. मुझे महसूस हो रहा था की मेरे पत्थर जैसे लुंड में से बूँद बूँद कुछ निकल रहा था. पर इस सब में एक अलग सा आनंद भी आ रह था. इस सब बेइज्जती ने भी एक अजीब सा मजा आरहा था मुझे. किसी तरह स्कूल के आँगन में 10 मिनट तक मुर्गा बनाकर चले और चुतड पर काफी डंडियाँ खायी. उसके बाद हम सब को प्रिंसिपल के रूम में ले जाया गया. मैथ सर ने प्रिंसिपल सर को साड़ी कहानी बताई. प्रिसिपल सर अपनी सीट से खड़े हुए. हम पाँचों सर नीचे और हाथ पीछे करके खड़े ही थे. प्रिनिच्पल ने एक एक करके हम पाँचों के एक एक थप्पड़ मारे. उनका मुह गुस्से में लाल था. उन्होंने मैथ सर को प्रिंसिपल रूम को अन्दर से लॉक करने को कहा जो की मैथ सर ने किया. उसके प्रिंसिपल सर हम पाँचों को पैंट उतरने को कहा. हम सब हैरान रह गये. हम एक दूसरे के मुह को देखने लगे. ऐसा पहले कभी नहीं सूना था हमने अपने स्कूल में. प्रिंसिपल सर द्बारा चिल्लाये और हमे पैंट उतारने को कहाँ. हम पाँचों घबरा गये और एक एक करके हमने अपनी पेंट्स उतार दी. सबसे ज्यादा शर्म की बात थी की मेरे अलावा चरों में नीचे अंडरवियर पहने थे. मैं शर्म से पानी पानी हो गया. मेरा लंड जोर से झटके खाकर्खाकर बाहर निकला मेरी पैंट से. उसके ऊपर से काफी मेरा वीर्य था और वो पूरा गिला था. प्रिंसिपल ने मैथ सर से डंडी ली और सबसे पहले मुझे प्रिंसिपल की टेबल पर लेटने को बोला. मैं घबराहट में कुछ समझ नहीं पा रहा था. उसने गुस्से में मेरा कान पकड़ा और मुझे खींचते ही अपनी टेबल की और ले गया. वह पर उसने मुझे धक्का दिया औरौर मेर्री चुतड पर जोर जोर से पांच डंडियाँ मारी. मैं चीखता रह गया पर उसने मुझे सर के पास से जोर से दबा रखा था और उसमे बहहुत ताकत थी. पर पांच डंडियाँ खाने के बाद मेरे चुतड में आग लग गयी थी और ये आग मेरे लंड को और उत्तेजित कर रही थी. मेरा लंड जोर जोर से झटके खाने लगा और मुझे लगा की कुछ बाहर आने वाला है. जैसे तैसे मैंने अपने लंड को संभाला और प्रिंसिपल सर ने मुझे छोड़ दिया और पैंट पहनने को कहां. जैसे ही मैंने अपनी पैंट उठाई और पैरों में दाल कर ऊपर करी और लंड को पैंट में घुसाने की किशिश करके बटन लगाने लगा. मेरे लंड में से जोर जोर से सफ़ेद पानी निकलने लगा और कुछ सेकंड के लिए पता नहीं मुझे क्या ह गया और मैं दूसरी दुनिया में खो गया. ऐसा लगा की ऐसा मजा मुझे कभी ज़िन्दगी में नहीं मिला. मैं भी अपने लंड को जोर जोर से दबाने लगा. 1-2 मिनट के बाद जब होश आया तो पांचवे लड़के की पिटाई हो रही थी. मैंने जैसे तैसे अपने पैंट के बटन लगाये और ज़िप बंद गिया. मेरा अन्दर का पूरा हिस्सा चिप्च्पा था और मेरी पन्त पर पूरा गिला गिला दिख रहा था. मैं झेंप गया. और शर्म और घबराहट में एक्सप्रेशंस के साथ मेरा दिमाग दौड़ाने लगा. कैसे अपनी इज्जत को बचाओं. मैंने शर्ट को बाहर किया. इतने में पांचवे लड़के की पिटाई भी ख़तम हो गयी और प्रिंसिपल ने हम पंचों को वार्निंग देकर क्लास ने जाने को कहा. मैंने नोटिस किया की बाकी चारों के लंड भी पूरी तरह से खड़े थे. खैर किसी ने मेरी पैंट के गिले हिस्से को नोटिस नहीं किया और बाहर आते समय मैथ टीचर ने मुझे शर्ट अन्दर करने को कहा. मैंने टीचर को बोला की सर मेरी पैंट का बटन टूट गया है. मैथ टीचर के चेहरे पर एक शरारत बहरी मुस्कान थी. उसने कहा ठीक है. किसी तरह थोड़ी देर में टॉयलेट जाकर मैंने अपना लंड साफ़ किया और उस चिप चिप से छुटकारा पाय. शर्ट बाहर करके पूरा दिन निकाला. थोड़ी देर में मेरी पन्त के ऊपर का गीलापन बभी सुख गया. हालाँकि उसपर पीला धब्बा दिख रहा था. जैसे तैसे स्कूल ख़तम हुआ और मैंने घर जाकर अपने कपडे बदले. मम्मी पापा के आने से पहले कपडे धोकर सुखा भी दिए.
इतने सालों के बड भी ये घटना मेरे दिलो दिमाग पर एक मूवी की तरह छप गयी औउर आज तक ये मेरे लंड को खड़ा कर देती है अ उर मैं मुठ मारता हूँ. उस दिन के बाद से मैं हमेशा के लिए BDSM मेरी ज़िन्दगी का हिस्सा बन गया.