Tuesday, 22 August 2017

स्कूल की सज़ा - School Punishment

बात आंठ्वी क्लास की है. हमारा स्कूल बॉयज स्कूल था. सिर्फ लड़के ही स्टूडेंट्स और मर्द टीचर्स. सिवाय कुछ क्लेरिकल स्टाफ के पुरे स्कूल में कोई लड़की नहीं थी. स्कूल का नाम discipline के लिए पुरे स्टेट में जाना जाता था. 6-7 क्लास से मुझे अपन लंड पर कण्ट्रोल करना मुश्किल था. मुझे अपने अन्दर हो रहे बदलाव पर घबराहट हो रही थी. जैसे कभी भी मेरा लंड खड़ा हो जाता था या फिर कई बार रात में सोते सोते झड जाता था. और मेरी निक्कर पूरी सनी होती थी वीर्य से. उस समय मुझे कुछ भी ज्ञान नहीं था की ये सब क्या है. मैं इसे अपने शरीर का कोई डिफेक्ट समझ कर घबराते रहता था. कभी किसी से शेयर नहीं किया. मैं एक गरीब परिवार से तालुक रखता था और बड़ी मुश्किल से स्कूल की फीस दी जाती थी. मेरे परिवार के पास अंडरवियर के लिए भी पैसे नहीं थे. किसी तरह से मेरे पिताजी मुझे पदालिखा कर कुछ बनाना चाहते थे. मैं पढाई में ठीक ठाक था. जा ज्यादा बुरा ना ज्यादा बढ़िया.
पर हमारे स्कूल के मैथ के सर बहुत सख्त थे. मैं ठीक ठीक ठाक था इसीलिए ज्यादा सज़ा नहीं मिल टी अभी तक. पर स्केल से पिटाई, मुर्गा बनाना या फिर कुर्सी की तरह घुटने से मोड़कर खड़े होने की सज़ा तो बहुत बार स्टूडेंट्स को मिलती थी. उसके अलावा अगर थप्पड़ पड़ जाए तो तो असलियत में आसमान के तारे दिखाई दे जाते थे दिने में.
बात एक दिन की है जब मैथ टीचर ने क्लास टेस्ट लिया और मैं फ़ैल हो गया. इतना ही नहीं मेरे 50 में से 10 मार्क्स आये. जो की पुरे क्लास में सबसे कम थे. उसकी वजह ये थी की उससे पहले एक हफ्ते मैं शहर से बाहर अपने मामा की शादी में गया था. जैसे ही मैंने अपने मार्क्स सुने मेरा दिल जोर जोर से धरकने लगा. अचानक हाथों पैरों में से जान निकलने लगी. क्लास में सिर्फ मैं ही ऐसा था जिसके सबसे कम मार्क्स आये थे. मैंने काफी कोशिश की सर को समझाने की पर सर ने एक न सुनी. सर ने हमेशा के लिए ऐसा रूल बनाया था की सबसे कम मार्क्स लाने वाले पांच स्टूडेंट्स को वो सज़ा देते थे. ये पहली बार था की मेरे सबसे कम मार्क्स आये थे. सर ने पांच स्टूडेंट्स जिनके सबसे कम मार्क्स आये थे उनको बाहर बुलाया जिसमे मैं भी था. मेरा लंड उस समय पूरा खड़ा हो गया और मेरी पैंट में एक उभार अलग से दिख रहा था. मैं शर्मा रहा था की और लोग क्या सोचानेगे मेरे बारे में. पहले सोचा की अपने शर्ट पैंट से बाहर निकाल लूं पर स्कूल में उसकी इजाज़त नहीं थी. मैंने अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ करके अपने लंड को छुपाने की कोशिश करी और क्लास से बाहर जाकर बाकी चार लोगो के साथ खड़ा हो गया. सर ने टेस्ट में टॉप करने वाले स्टूडेंट गौरव को बुलाया और हम पाचों को पांच पांच थप्पड़ मारने को कहा. गौरव झिझका क्यूंकि वो किसी स्टूडेंट से पंगा नहीं लेना चाहता था. पर सर ने उसे चिल्लाकर कहा की अगर वो नहीं मारेगा तो उसका भी वोही हश्र होगा जो हम लोगो का हो रहा था. गौरव ने एक एक करके सबके पांच थप्पड़ मारे. सबसे बाद में मेरा नंबर था. सर ने चिल्लाकर गौरव को मुझे सबसे जोर से मारने को कहा. गौरव ने ऐसा ही किया. उसके पांच थप्पड़ से मेरा सिर घूम गया और मेरे गाल पर उसकी पाँचों उंगलियाँ छाप गयी. पर थप्पड़ खाते ही मेरे लंड ने जोर से झटके खाए और मैंने जैसे नीचे देखा मेरे पैंट पर एक गीला डॉट था जहाँ मेरा लंड का ऊपर का हिस्सा था. उस समय मैं और घबरा गया क्यूंकि मुझे डर था की लोग न देखे.
उसके बाद सर ने हम पाँचों को मुर्गा बनाया और हमारी चुतड पर 10-10 डंडियाँ मारी. मेरा दर्द से बुरा हाल हो गया था और मैंने नोटिस किया की मेरे पन्त का धब्बा और बड़ा होता जा रहा था. मेरे लंड में से कुछ निकल रहा था ज मेरी पन्त पर साफ़ दिख रहा था. मुझे नहीं पता था की वो क्या है. उसके बाद सर ने आदेश दिया की हम सब लोगो को मुर्गा बनाकर चलना है और कानों को भी नहीं छोड़ना है. अगर कान छूटे तो वो पीछे से हमारी चुतड पर जोर से डंडियाँ मारेंगे. और ऐसा ही हुआ. मुझे पता ही नहीं चला की मेरी चुतड पर सर ने कितनी डंडियाँ मारी. क्यूंकि हर बार मेरा हाथ छुटता या चुतड नीची होती तो सर की डंडी मेरी चुतड पर पड़ती और मैं दर्द में चीखता. हम पांचों का ये ही हाल था. मुझे महसूस हो रहा था की मेरे पत्थर जैसे लुंड में से बूँद बूँद कुछ निकल रहा था. पर इस सब में एक अलग सा आनंद भी आ रह था. इस सब बेइज्जती ने भी एक अजीब सा मजा आरहा था मुझे. किसी तरह स्कूल के आँगन  में 10 मिनट तक मुर्गा बनाकर चले और चुतड पर काफी डंडियाँ खायी. उसके बाद हम सब को प्रिंसिपल के रूम में ले जाया गया. मैथ सर ने प्रिंसिपल सर को साड़ी कहानी बताई. प्रिसिपल सर अपनी सीट से खड़े हुए. हम पाँचों सर नीचे और हाथ पीछे करके खड़े ही थे. प्रिनिच्पल ने एक एक करके हम पाँचों  के एक एक थप्पड़ मारे. उनका मुह गुस्से में लाल था. उन्होंने मैथ सर को प्रिंसिपल रूम को अन्दर से लॉक करने को कहा जो की मैथ सर ने किया. उसके प्रिंसिपल सर हम पाँचों को पैंट उतरने को कहा. हम सब हैरान रह गये. हम एक दूसरे के मुह को देखने लगे. ऐसा पहले कभी नहीं सूना था हमने अपने स्कूल में. प्रिंसिपल सर द्बारा चिल्लाये और हमे पैंट उतारने को कहाँ. हम पाँचों घबरा गये और एक एक करके हमने अपनी पेंट्स उतार दी. सबसे ज्यादा शर्म की बात थी की मेरे अलावा चरों में नीचे अंडरवियर पहने थे. मैं शर्म से पानी पानी हो गया. मेरा लंड जोर से झटके खाकर्खाकर बाहर निकला मेरी पैंट से. उसके ऊपर से काफी मेरा वीर्य था और वो पूरा गिला था. प्रिंसिपल ने मैथ सर से डंडी ली और सबसे पहले मुझे प्रिंसिपल की टेबल पर लेटने को बोला. मैं घबराहट में कुछ समझ नहीं पा रहा था. उसने गुस्से में मेरा कान पकड़ा और मुझे खींचते ही अपनी टेबल की और ले गया. वह पर उसने मुझे धक्का दिया औरौर मेर्री चुतड पर जोर जोर से पांच डंडियाँ मारी. मैं चीखता रह गया पर उसने मुझे सर के पास से जोर से दबा रखा था और उसमे बहहुत ताकत थी. पर पांच डंडियाँ खाने के बाद मेरे चुतड में आग लग गयी थी और ये आग मेरे लंड को और उत्तेजित कर रही थी. मेरा लंड जोर जोर से झटके खाने लगा और मुझे लगा की कुछ बाहर आने वाला है. जैसे तैसे मैंने अपने लंड को संभाला और प्रिंसिपल सर ने  मुझे छोड़ दिया और पैंट पहनने को कहां. जैसे ही मैंने अपनी पैंट उठाई और पैरों में दाल कर ऊपर करी और लंड को पैंट में घुसाने की किशिश करके बटन लगाने लगा. मेरे लंड में से जोर जोर से सफ़ेद पानी निकलने लगा और कुछ सेकंड के लिए पता नहीं मुझे क्या ह गया और मैं दूसरी दुनिया में खो गया. ऐसा लगा की ऐसा मजा मुझे कभी ज़िन्दगी में नहीं मिला. मैं भी अपने लंड को जोर जोर से दबाने लगा. 1-2 मिनट के बाद जब होश आया तो पांचवे लड़के की पिटाई हो रही थी. मैंने जैसे तैसे अपने पैंट के बटन लगाये और ज़िप बंद गिया. मेरा अन्दर का पूरा हिस्सा चिप्च्पा था और मेरी पन्त पर पूरा गिला गिला दिख रहा था. मैं झेंप गया. और शर्म और घबराहट में एक्सप्रेशंस के साथ मेरा दिमाग दौड़ाने लगा. कैसे अपनी इज्जत को बचाओं. मैंने शर्ट को बाहर किया. इतने में पांचवे लड़के की पिटाई भी ख़तम हो गयी और प्रिंसिपल ने हम पंचों को वार्निंग देकर क्लास ने जाने को कहा. मैंने नोटिस किया की बाकी चारों के लंड भी पूरी तरह से खड़े थे. खैर किसी ने मेरी पैंट के गिले हिस्से को नोटिस नहीं किया और बाहर आते समय मैथ टीचर ने मुझे शर्ट अन्दर करने को कहा. मैंने टीचर को बोला की सर मेरी पैंट का बटन टूट गया है. मैथ टीचर के चेहरे पर एक शरारत बहरी मुस्कान थी. उसने कहा ठीक है. किसी तरह थोड़ी देर में टॉयलेट जाकर मैंने अपना लंड साफ़ किया और उस चिप चिप से छुटकारा पाय. शर्ट बाहर करके पूरा दिन निकाला. थोड़ी देर में मेरी पन्त के ऊपर का गीलापन बभी सुख गया. हालाँकि उसपर पीला धब्बा दिख रहा था. जैसे तैसे स्कूल ख़तम हुआ और मैंने घर जाकर अपने कपडे बदले. मम्मी पापा के आने से पहले कपडे धोकर सुखा भी दिए.
इतने सालों के बड भी ये घटना मेरे दिलो दिमाग पर एक मूवी की तरह छप गयी औउर आज तक ये मेरे लंड को खड़ा कर देती है अ उर मैं मुठ मारता हूँ. उस दिन के बाद से मैं हमेशा के लिए BDSM मेरी ज़िन्दगी का हिस्सा बन गया.

Wednesday, 9 August 2017

मुलाज़िम बना ग़ुलाम - 23

सारे बटन खोलने के बाद राहुल ने अपनी बाहों को ओवरकोट में से निकाला और ओवरकोट को पीछे फेंक दिया. अब वो पूरी तरह नंगा कार की आगे की सीट पर बैठा था. और उसका लंड पूरा पत्थर की तरह हार्ड था, इस अपमान जनक स्तिथि में. उसकी धड़कन की रफ़्तार राजधानी एक्सप्रेस की तरह तेज थी. उसके मुह से डर के मारे पसीना टपक रहा था. इस तरह रात में कार की आगे वाली सीट पर पूरी तरह नंगा होकर शहर की सडको पर जाना, उसने कभी ज़िन्दगी में भी नहीं सोचा था. अमित ने शरारत भरी नज़र से राहुल की और देखा. राहुल ने अमित से नज़रें मिलाकर आँखों ही आँखों में भीख मांगी, पर अमित ने कोई तवज्जु नहीं दी और उसके पत्थर जैसे टपकते ही लंड को लालच भरी नज़र से देखने लगा. राहुल ने शर्म से अपने लंड को हाथो से छुपाने की कोशिश करी, पर तुर्रंत अमित का फरमान आया. “हाथ नीचे….” राहुल ने तुर्रंत हाथ नीचे कर लिए और अपनी आखें भी. अमित ने गाडी स्टार्ट करी और आगे बडाई. कार बेसमेंट से बाहर निकली. बिल्डिंग प्राय: सिक्यूरिटी वाले होते है. और राहुल के दिल की धड़कन बहुत तेज़ हो गयी ये सोच कर की सिक्यूरिटी वाले उसे देख लेंगे तो क्या होगा. वो तो उसे पहचानते है. कार बिल्डिंग के गेट की और बड़ी. डोर से कार आती देख सिक्यूरिटी वाला गेट की और बड़ा. राहुल का पूरा मुह पसीने से भर गया, हाथ पैर कांपने लगे. सिक्यूरिटी वाला गेट खोलने में बिजी हो गया और पीछे मुड़ कर नहीं देखा. इतने में अमित ने कार आगे बड़ा दी. और जब तक सिक्यूरिटी वाला पीछे मुड़ता, अमित कार निकाल चूका था. राहुल की सांस में सांस आई. उसने भगवान् का शुक्रिया अदा किया की सिक्यूरिटी वाले ने उसे नहीं देखा. पर अभी उसकी घबराहट कम नहीं हुई थी क्युकी ऑफिस और अमित के घर का रास्ता 4 किलोमीटर का था. उसकी नज़र चारो और थी की कोई उसे देख तो नहीं रहा. बीच बीच में उसकी नज़र अपने लंड पर जा रही थी. किसी तरह से अगर लंड बैठ जाए तो कम से कम उसकी कुछ इज्जत तो बच जाए अगर कोई देख ले तो. पर उसका लंड बिलकुल उसका साथ नहीं दे रहा था. और लगातार एक राकेट की तरह ऊपर की तरफ खडा था. प्रिकम उसके लंड के ऊपर से टपक रहा था. इसका मतलब उसको अन्दर से इन सब में मजा आ रहा था. अमित कनखियों से ये सब देखते हुए, इस सब का मजा ले रहा था. अचानक अमित ने एसी ऑफ कर दिया और साइड के बटन से विंडो ग्लासेज को नीचे कर दिया. “एसी की कोई जरूरत नहीं है मौसम बढ़िया है बाहर का.” अमित बोला. ये बोलते बोलते उसने दोनों तरफ की विंडो ग्लासेज को नीचे कर दिया. राहुल पूरी तरह घबरा गया. हालांकि ये रात थी पर खुली खिड़की से तो कोई बाहर का आसानी से देख सकता था की राहुल पूरा नंगा बैठ है कर में. राहुल जो पहले इ डरा था, अब तो डर के मारे कांपने लगा. “सर प्लीज, मेरी इज्जत का थोडा तो ख्याल करिए, लोग क्या कहेंगे.” राहुल फिर से गिडगिडाने लगा. उसकी आखों में आंसूं भर गए. ये बोलते बोलते भी उसकी नज़र बार बार बाहर जा रही थी की खी कोई उसे देख तो नहीं रहा. अमित ने कोई जवाब नहीं दिया और न ही अब राहुल की और देखा. “सर प्लीज खिड़कियाँ बंद कर लीजिये….मैं आपके पैर पड़ता हूँ. “राहुल फिर गिडगिडाने लगा, पर राहुल ने कोई तवज्जो नहीं दी. बल्कि शीशे से कनखियों से राहुल को भीख माँगते देख रहा था. उसकी इस बैजत्ति में उसका अपना लंड पूरा खडा हो गया. राहुल समझ गया की अमित पर कोई असर नहीं होने वाला. और राहुल का अपना लंड भी तो उसका साथ नहीं दे रहा था. कार आगे बदती रही. देर रात होने की वजह से बहुत ज्यादा लोग रोड पर नहीं थे और जो थे भी उन्होंने राहुल की और नहीं देखा. राहुल घबराते हुए बैठा था और एक एक मिनट उसे एक एक दिन जैसे लगा रहा था. बाहर से आती हुई हवा उसके पसीने से लथपथ शरीर को ठंडा कर रही थी. और उसका शरीर जो डर से कांप रहा था, ठंडी हवा से और कांपने लगा.  15 मिनट ड्राइव के बाद, गाडी अमित के घर पर पहुंची. उसके घर का गेट बंद था. अमित ने ठीक घर के गेट के सामने गाडी कड़ी करी. “ ये ले गेट की चाबी और जाकर गेट खोल.” राहुल को विश्वास नहीं हुआ उसने क्या सूना है. “जी….जी…..” राहुल बुड्बुदाता रह गया. “अबे जाकर गेट खोल" अमित ने हाथ पकड़ कर गेट की चाबी राहुल के हाथ में देते हुए बोला. राहुल की सास ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गयी. वो नंगा होकर गेट पर जाकर लॉक कैसे खोल सकता है. “जी ….वो ओवरकोट पहन लूँ…..” राहुल ने झिझकते हुए पुछा. “ नहीं….ऐसे ही जा.” अमित का जवाब था. राहुल ने फिर से अमित की और देखा, पर इस बार अमित की आँखों में गुसा था. “ मैंने कहा जा कमीने ….. “ राहुल ने घबराकर कार का गेट खोला. नीचे उतरने से पहले उसने दोनों तीनो तरफ देखा की कोई है तो नहीं. वैसे तो आस पास कोई नहीं था पर गेट के पास ही स्ट्रीट लाइट होने की वजह से पूरी रौशनी थी. इसका मतलब दूर से भी कोई उसे नंगा देख सकता था. इस डर से उसके लंड ने एक झटका मारा, वैसे उसका लंड इतनी देर से बैठ ही नहीं था डर के मारे. वो तेजी से कार से निकला और गेट की और भगा. उस चाबी के छल्ले में कई चाबियां थी. उसको नहीं पता था की कौन सी चाबी कौन से ताले की थी. वो हडबडाते हुए अलग अलग चाबियाँ ट्राई करने लगा. पर घबराहट में कोई भी चाबी नहीं लग रही थी. वो बार बार दोनों तरफ देख रहा था की कोई आ तो नहीं रहा. फिर चाबी लगाने की कोशिश कर रहा था. पर उसके हाथ कांप रहे थे. लंड खडा था और पैरों में जैसे जान ही नहीं थी. ज़िन्दगी में पहली बार वो रोड पर नंगा खडा होकर किसी के घर का ताला खोलने की नाकाम कोशिश कर रहा था. उधर अमित को इस सब में खूब मजा आ रहा था. राहुल के चेहरे की घबराहट, कांपते हाथ, खड़ा लंड, और डर के मारे हिलते हुए चुतड, देखकर अमित को बहुत आनंद आ रहा था. और उसका हाथ अनायास ही अपने लंड को दबाने लगा. 4-5 मिनट ट्राई करने के बाद राहुल वापिस कार के पास आया और बोला,” सर उसमे तो कोई चाबी नहीं लग रही है. लगता है इस ताले की चाबी नहीं है सर. “ अमित ने ऊँची आवाज़ में जवाब दिया, “ ऐसा कैसे हो सकता है. मैं तो रोज़ खोलता हूँ…ठीक से ट्राई कर.” राहुल निराश हो गया. वो किसी भी तरह कर के अन्दर आना चाहता था. उसको डर था की कोई आ न जाये और उसे इस हालत में न देख ले. पर उसके पास कोई और चारा नहीं था. वो फिर से गेट की और गया और ताला खोलने की कोशिश करने लगा. अमित कार में बैठे बैठे हंस रहा था, क्यूंकि उसे पता था की इस ताले को खोलने का तरीका कुछ अलग था. और पहली बार में कोई इसे खोल नहीं सकता था. पर उसे राहुल को नीचा दिखने में बड़ा मजा आ रहा था. राहुल की घबराहट और बढती जा रही थी. क्यूंकि वो एक चलती फिरती सड़क थी. अगर कोई आ गया तो उसकी असलियत जानकर पता नहीं क्या सोचे. उसके कांपते हाथ और पैर उसकी घबराहट को साफ़ दिखा रहे थे. अमित गुस्से का नाटक करता हुआ कार से निकला. राहुल कुछ और डर गया. उसने राहुल को बालों से पकड़ा. “ क्यों बे सूअर की औलाद, एक छोटा सा ताला नहीं खुल रहा तुझसे. बहनचोद और काम क्या करेगा तू…….” “सर वो …..वो…….पता…. नहीं क्यों नहीं खुल रहा. आअह्ह्ह्ह…….” राहुल बुड्बुदाता रह गया. “साले अगर या ताला नहीं खुला तो आज रात तू इस सड़क पर ही सोयेगा….” अमित बालों को छोड़ते हुए चिल्लाया. राहुल के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी……”नहीं सर प्लीज. मैं फिर से ट्राई करता हूँ….” अमित मन ही मन मुस्कुरा रहा था राहुल की बेवकूफी को देख कर. पर सच ही तो है की घबराहट में आदमी का दिमाग नहीं चलता.. राहुल का दिमाग बिकुल चलना बंद हो गया था. उसने झाल्लाते हुए कोशिश की पर कोई सफलता नहीं मिली. “ सर प्लीज मुझसे नहीं खुल रहा. “ राहुल ने घबराते हुए अमित की और देखा. अमित ने राहुल के हाथ से चाबी छिनी और अपने हाथ में ली. उसे अपने घर के गेट के ताले को खोलने का तरीका मालुम था. उसने फटाक से चाबी घुमाई और लॉक खुल गया. अमित ने गुस्से से राहुल की और देखा. राहुल सकते में था. उसे समझ नहीं आ रहा था की ऐसा कैसे हुआ. “ सर मेरा विश्वास कीजिये मैंने ठीक से ट्राई किया था. “ राहुल बुदबुदाया. “तो फिर खुला क्यों नहीं. … अब तू आज रात यहीं बिताएगा…” राहुल के पैरो से जमीन निकल गयी…” नहीं सर प्लीज…. मुझे माफ़ कर दीजिये….आगे से ऐसी गलती नहीं होगी. राहुल अमित के पैरों में गिर गया...पर अमित ने कोई तवज्जो नहीं दी. राहुल को धक्का दिया. गेट खोला और अपनी कार ने बैठा और कर को अन्दर किया. अभी तक राहुल को पूरी उम्मीद थी की अमित उसे अन्दर आने देगा. पर अमित ने तेज़ी से गेट बंद कर लिया. “सर सर प्लीज …...सर …..प्लीज…….गेट खोलिए सर…..” राहुल गेट पिटता रह गया….कुछ मिनट के बाद वो समझ गया की अमित अब गेट नहीं खोलेगा.. अब राहुल ने सड़क की और नज़र घुमाई. उसके लंड ने एक जोर का झटका मारा. वो एक सुनसान सड़क पर नंगा खडा था. अमित के घर के गेट के आस पास कोई छुपने की भी जगह नहीं थी. अचानक एक बाइक की आवाज़ सुने दी. राहुल के पसीने छुट गए. उसके पैरों से जमीन निकल गयी. अब क्या होगा..लोग उसको नंगा देखेनेगे. वो डर के मारे हिलने लगा..उसने दुबारा से गेट पीटना शुरू कर दिया…”सर प्लीज कोई आ रह है. प्लीज गेट खोलिए. आप जो कहेनेगे मैं करूंगा.पर प्लीज गेट खोलिए……” राहुल इस टाइम पागलो की तरह गेट पिट रहा था. बाइक की आवाज़ उसके कानो में साफ़ पास आती सुने दे रही थी. अमित ने पुरे तरह से लास्ट मोमेंट तक इंतज़ार किया. फिर अचानक गेट खोल दिया.राहुल बिजली की रफ़्तार से अन्दर आ गया और ज़मीन पर गिर गया.  बाइक की आवाज़ एक दम पास आकर आगे निकल गयी. राहुल अभी भी ज़मीन पर पडा हुआ हांफ रहा था. उसने राहत की सांस ली की आज तो उसकी इज्जत बच गयी, पर पता नहीं कितने दिन बचेगी.  अमित पीछे से आया और अपना जूता राहुल के मुह पर रख कर कहा “ इस बार तो बचा लिया अगली बार नहीं होगा ये. इसीलिए कहता हूँ वो करना है तुझे बिना किसी बहाने के….समझा…” राहुल ने धीरे से मुह हिलाया. अमित ने पैर हटा कर कहा “ ठीक है अब उठ सूअर की औलाद और गेट पर लॉक लगाकर अन्दर आ. अन्दर के डोर की चाबी ही इसी गुच्चे में है. अमित घर के डोर की और बड़ा और राहुल ने फ़टाफ़ट गेट लॉक किय और डोर की और बड़ा. उसने दो तीन ताली घबराते हुए ट्राई करी की कहीं इस बार भी देर न हो जाए. पर इस बार किस्मत ने साथ दिया और डोर खुल गया. 

to be continued....

मुलाज़िम बना ग़ुलाम - 22


राहुल अपने आप को ऐसे खड़ा देख कर कुछ उत्तेजित सा हो गया. रात के बारह बज रहे थे. अमित सामने अपने लैपटॉप पर लगा था और पूरा नंगा बैठा था. उसका गठीला बदन राहुल के शरीर में आग सी लगा रहा था. अचानक अमित ने राहुल की तरफ देखा. राहुल अमित की बॉडी में पूरी तरह से खोया हुआ था और उसका खड़ा लंड देख कर अमित को इस बात का अंदाजा हो गया की राहुल के मन में क्या चल रहा है. “ क्यों बे क्या देख रहा है. ..” अमित बोला. “राहुल ने बिना जवाब दिए अपनी गर्दन नीची कर ली. “ ह्म्म्म तेरा खड़ा लंड सब कुछ बता रहा है….चल ठीक है उधर से मेरी कपडे लेकर आ और मुझे पहना सिर्फ टीशर्ट एंड जीन्स.” अमित ने अपने उतारे हुए कपड़ो की और इशारा करते हुए कहा. राहुल समझ गया और उसने एक एक करके अमित के जीन्स और टीशर्ट को उठाया. अमित अपनी जगह से खड़ा हुआ . और हाथ से राहुल को इशरा किया उसका उसके पैरों में डालने को और राहुल ने वैसे ही किया. राहुल जब अमित को जीन्स पहना रहा था तब उसका लंड पूरा राहुल के मुह के पास था. राहुल के मुह में अमित का लटकता खंजर देख कर पानी आ गया. उसका मन उसको चूसने को करने लगा. “अबे मेरा लंड बाद में देखिओयो पहले कपडे पहना.” अमित चिल्लाया. राहुल ने फ़टाफ़ट अमित को जीनस पहनाई. जीन्स की ज़िप और बटन लगाने के लिए उठा पर हिम्मत नहीं कर पा रहा था. क्युकी बिना अंडरवियर के ज़िप को खाल में फंसने का चांस था. “ अबे गांडू मेरे लुंड की खाल को बचाकर…” अमित जोर से बोला. राहुल ने ज़िप को थोडा सा ऊपर किया पर अमित का बैठा हुआ लंड बीच में आ रह था. “अबे अब गुलाम है तू दिमाग का इस्तेमाल कर थोडा..”अमित के चेहरे पर शरारत थी थोड़ी. राहुल समझ नहीं पाया. “अबे गधे मेरा लंड थोडा हिला दे ना, हार्ड हो जाएगा तो ज़िप में अटकेगा नहीं.” अमित के ये शब्द सुन राहुल अस्चर्या में भर गया. राहुल ने फिर से जीन्स को नीचे किया और अमित के लंड को हिलाना शुरू किया. अमित के लंड में धीरे धीरे खून भरने लगा. राहुल अपनी इस अपमान भरे काम से बहुत लज्जित हुआ और उसके लंड में भी खून भरने लगा. जब अमित का लंड खड़ा हो गया, तब उसने कहा “चल अब जीन्स ऊपर कर और मेरे लंड को बचा कर.” राहुल ने धीरे से अमित की जीन्स ऊपर करी और अन्दर हाथ डालकर उसके जीन्स की ज़िप लगाई. अमित मन ही मन राहुल के इस काम से खुश हुआ की उसने पूरी समझदारी से लंड को बचाया. अमित को लगाने लगा की उसने कोई चुतिया सा गुलाम नहीं चुना है बल्कि एक समझदार गुलाम चुना है जो उसकी अच्छे से सेवा करेगा. “ठीक है अब टी शर्ट पहना.” अमित का अगला आदेश था. राहुल ने अमित की टीशर्ट उठायी और उसके गले में डाली और फिर बाँहों में. अमित के शरीर की खुशबू में राहुल खो सा गया और पहनाते हुए उसके शरीर को चुने से उसको मजा आया, ये ही हाल अमित का भी था. पर उसने अपने पर संयम रखा और अपनी टी शोर्ट को ठीक किया. “मेरा अंडरवियर और बनियन उस बैग में डाल. इसको घर लेकर जाना है.” राहुल ने वैसे ही किया. अमित का थोंग अंडरवियर बहुत सेक्सी था और राहुल का मन था की वो उसको सूंघे पर उसकी हिम्मत नहीं थी ऐसा करने की. उसने अंडरवियर और बनियन को बैग में रख दिया. “चल मेरे जूते लेकर आ और मुझे पहना. जुराबें इसी बैग में रख दे.” राहुल ने वैसे ही किया. अमित के पैरों में पसीने की खुशबु उसे मदहोश करने लगी. उसका मन उसके कोमल से पैरों को चाटने का करने लगा पर उसमे हिम्मत नहीं थी. धीरे से उसने जूतों को अमित के पैरों में घुसाया. और अमित के अगले हुकुम का इंतज़ार करने लगा. “चल अब घर चलते है.” अमित ये बोलते हुए रूम के डोर की तरफ बदने लगा. राहुल हैरान रह गया क्यूंकि वो अभी भी नंगा था. घबराहट में उसका शरीर कांपने लगा. पर अमित ने उसको कोई तवज्जो नहीं दी और चलता रहा. “सर….” राहुल ने खिखाकते हुए बोला. अमित पीछे मुड़ा “क्या है..” अमित ने भड़कते हुए जवाब दिया. “सर मैं क्या पहनू…..”राहुल ने खिझाकते हुए पुछा. “कुछ नहीं.” अमित ने फटाक से जवाब दिया. राहुल की घबराहट और बड गयी. “सर मैं बहार कैसे जाऊँगा? प्लीज मुझे कुछ पहनने को दे दीजिये.” राहुल समझ गया था की अमित कुछ भी कर सकता है यहांतक की उसको बाहर नंगा ले जा सकता है. राहुल डर के मारे कांप रहा था . ये सोच कर की अमित उसे नंगा बाहर ले जाएगा उसकी रूह कांपने लगी. उसकी अपनी इज्जत मिटटी में मिलती हुई दिखने लगी थी. “क्यों बे तूने अग्रीमेंट पर साइन किया था नि तू नंगा रहेगा. भूल गया.” राहुल फ़टाफ़ट अमित के पैरों में गिर पड़ा… “सर प्लीज मेरे साथ ऐसा मत कीजिये, लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे. मेरी क्या इज्जत रह जायेगी.. सर प्लीज.” “इज्जत और एक गुलाम की….तेरी कोई इज्जत नहीं है अगले चार महीनो के लिए.” अमित ने दृढ़ता से जवाब दिया. राहुल बिलखता रहा. “सर प्लीज… ऐसा मत करिए……” अमित का मकसद राहुल को और नीचा दिखने का था. “अबे गांडू जितनी जल्दी इस सब की आदत दाल ले तेरे लिए अच्छा है.” “सर प्लीज...मुझे कुछ पहनने को दे दो.. पूरी बिल्डिंग में सी सी टी वी कैमरा लगे है. सब को पता चल जाएगा सर… प्लीज.”.....”हम्म ठीक है. मेरी अलमारी खोल….वहां एक ओवरकोट है…...उसको पहन ले.” राहुल तेज़ी से अलमारी की तरफ गया और फ़टाफ़ट वहां से ओवरकोट निकाला औए देखने लगा. उसकी लम्बाई के हिसाब से वो सिर्फ घुटने से कुछ ऊपर तक आएगा. . “अबे साले इसे देख क्या रहा है.. पहन इसे. “.. अमित जोर से बोला. “सर कुछ नीचे भी पहन लूं…...प्लीज…..” राहुल डरते डरते बोला. “बहनचोद कुछ दे रहा हूँ न पहनने को.. पहन इसे और चल.. “ राहुल आगे कुछ बोलने की हिम्मत न कर सका. कहीं अमित का मन बदल गया तो क्या होगा. फ़टाफ़ट उसने वो ओवरकोट पहन लिया. कम से कम वो उसकी इज्जत ढक रहा था. पर इसमें कोई शक नहीं के वो एक चुतिया लग रहा था. वो ओवरकोट एक बाथिंग सूट की तरह लग रहा था. उसके घुटने से कुछ ऊपर तक ही आ रहा था. पर राहुल को अपनी इज्जत बचती देख कर सब्र कर लिया, पर उसका लंड उसका साथ नहीं दे रहा था. इस अपमानजनक स्तिथि में उसका लंड पत्थर जैसा हो गया और उसके ओवरकोट में वो उभार अलग से दिख रहा था. पर उसकी गांड में अमित से कुछ और कहने का दम नहीं था. जैसे तैसे करके अमित के साथ इसी स्तिथि में जाने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं था उसके पास. उसने अमित की और बड़ी दया भरी नज़रों से देखा की शायद अमित को उसके ऊपर दया आ जाए. पर अमित का चेहरा बहुत सख्त था. “साले अब चल इतनी देर हो रही है. ये ले चाबी और लॉक करके नीचे आ कार पार्किंग में. ये कार की चाबी भी ले.” अमित आगे बड गया बिना राहुल का इंतज़ार किये. राहुल ने ऑफिस लॉक किया. झुकते हुए वो अपने नीचे हिस्से को लेकर काफी सचेत था. क्युकी उसको पता था की वहां एक सी सी टीवी कैमरा लगा है. वो जब झुका तो उसका ओवरकोट भी ऊपर हुआ. राहुल को लगा की कहीं कैमरा में उसका नंगापन भी कैप्चर न हो जाए. जैसे तैसे उसने लॉक किया और तेजी से लिफ्ट की और बड़ा. वहां अभी भी अमित लिफ्ट का इंतज़ार कर रहा था. उसके ओवेरकोट में उभार को देख अमित को काफी मजा आ रह था. राहत नर्वस सा अमित के साइड में खड़ा था. वो हाथ से अपने लंड को दबा रहा था ताकि वो लिफ्ट के कैमरे में कैप्चर न हो जाए. अमित इस नज़ारे को देख कर अलग ही उत्तेजिते हो रहा था. अमित ने भी सिर्फ जीन्स इसीलिए पहनी थी की वो इस नज़ारे को मजा लेना चाहता था. उसने अपने खड़े लंड को जीन्स में एडजस्ट किया. फिर लिफ्ट का दरवाज़ा खुला और अमित पहले अन्दर घुसा और तेज़ी से राहुल अन्दर आया. अमित ने राहुल को बेसमेंट प्रेस करने को कहा जो राहुल ने किया. लिफ्ट तेज़ी से बेसमेंट पार्किंग की और बदने लगी. राहुल को एक एक सेकंड एक एक घंटे जैसा लग रहा था. वो किस भी तरह जल्दी से जल्दी घर पहुँच कर अपनी इज्जत बचाना चाहता था. उसे डर था की किसी और फ्लोर से कोई और लिफ्ट में न घुसे, इसीलिए जैसे जैसे लिफ्ट नीचे बड रही थी, उसकी धड़कन तेज हो रही थी. लिफ्ट बेसमेंट पार्किंग पर जाकर रुकी. पहले अमित बाहर निकल और बाद में राहुल. अमित को कुछ और मस्ती सूझी. “अबे साले जाकर देख मेरी कार कहाँ है. मुझे याद नहीं आ रहा कहाँ पार्क करी थी.” अमित ने कहा. “राहुल घबरा गया.उसको उम्मीद थि की वो फ़टाफ़ट कार में जाकर बैठ जाएगा. पर अमित उसको पुरे बेसमेंट में इस अजीब सी ड्रेस में घूमकर कार ढूँढने को बोल रहा था. राहुल को मालूम था की अगर अमित चाहे तो रिमोट लॉक की मदद से ढूंढ सकता है की कार कहाँ है, पर उसने ऐसा नहीं किया. राहुल का दिल ये सोच कर बैठे जा रहा था की बेसमेंट में हर कोने में सी सी टीवी कैमरे लगे है और उसकी ये हालत भी कैमरा में रिकॉर्ड हो जायेगी. वो इतने बड़े बेसमेंट में इधर उधर भागने लगा और अमित की कार ढूँढने लगा. उसका खड़ा लंड ओवरकोट से रगड़ खा रहा था और उसकी उत्तेजना को बड़ा रहा था. थोड़ी देर भागने के बाद उसे कार मिली, पर अब लिफ्ट दूसरी तरफ थी, राहुल फिर से भागकर अमित की और गया और उसे बताया की कार कहाँ है. अमित ने चाबी राहुल को देकर कार को वहीँ लाने को कहा. राहुल ने वैसे ही किया. इसका मतलब राहुल को इस हालत में दुबारा कार के पास जाना होगा, उसका खड़ा हुआ लंड उसके ओवरकोट से रगड़ खा खा कर और इस उत्तेजित हालत में अलग ही दिखाई दे रहा था. डर के मारे राहुल चाहकर भी अपने लंड पर कोई कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा था. जैसे तैसे वो कार के पास पहुंचा और खोल कर स्टार्ट किया और अमित जहाँ खड़ा था वहां लेकर गया. “चल ठीक है अब बाहर निकल और दूसरी साइड में आकर बैठ..” अमित ने बोला. राहुल गाडी से बाहर आया और अमित ड्राईवर सीट पर बैठ गया. राहुल दूसरी और जाकर साइड की सीट में बैठ गया. अमित ने कार स्टार्ट करी ही थी फिर ब्रेक लगा दिया. “ अब इस ओवरकोट को उतार् दे…” अमित ने राहुल की और देख बोला. राहुल की सांस ऊपर की ऊपर नीचे की नीचे रह गयी. “जी…...वो…..जी…. सर प्लीज …..सब लोग देखेंगे……”राहुल फिर से गिडगिडाने लगा….”तो. ……. …….. चल उतार जल्दी……” अमित ने जवाब दिया…”सर घर पहुंचकर आप जो कहेंगे मैं वो करूँगा, यहाँ publicly मुझे बेइज्जत मत करिये प्लीज. “ राहुल भीख मांगने लगा. “साले अभी इतने पड़े थे वो कम थे शायद… और खाने है. “ अमित चिल्लाया. राहुल समझ गया की ज्यादा विरोध का कोई फायदा नहीं है. उसने एक एक करके अपने ओवरकोट के बटन खोने शुरू किये.
To be continued….

Tuesday, 8 August 2017

अपहरण - 7


मैंने जैसे तैसे करके अपनी जीभ निकाली और रॉकी का कीचड़ से लथपथ जूता चाटना शुरू किया. उसके जूतों की ग्नादगी मेरे मुह में जाते ही मुझे अजीब सा महसूस होने लगा. एक कुत्ता की तरह अपने मालिक का जूता चाटते हुए मैं सच में अपने को एक कुत्ते की तरह महसूस करने लगा. और से सोचते ही मेरे पुरे शरीर में एक उत्तेजना की लहर फैल गयी और मैं इसमें एक आन्नद का अनुभव करने लगा. मेरा पूरा ध्यान रॉकी के जूते को साफ़ करने में था और मैं कब अपने आप में पूरा उत्तेजित हो गया. मुझे अहसास होने लगा की मेरा लंड पुरे तनाव में था इस समय, मैंने दुसरे हाथ से अपने लंड को चुने लगा. तभी जोर से लकड़ी मेरी चुतड पर आकर लगी और मैं हलकी सी चीख निकली. “आःह्ह्ह…” मैंने एक सेकंड के लिए जूता चाटना छोड़ दिया और अपना मुह उठाया. पीछे से सैम ने मेरी चुतद पर डंडी मारी थी. जब मैंने उसकी और देखा. “हमखोर लंड नहीं छुएगा तू अपना हमसे पूछे बिना… समझा?” “जी….” मैंने फताफत जवाब दिया. वैसे मेरे लिए बहुत मुश्किल था अपने पत्थर जैसे सख्त और टपकते लंड को छोड़ना , पर उस डंडी के डर से मैंने उसे छोड़ दिया और रॉकी के जूते को चाटना में खो गया.  “ह्म्म्म साला बढ़िया कुत्ता मिला है अबकी बार. हरामखोर याद है वो पिचली बार क्या गांडू मिला था. कुछ नहीं कर पा रहा था. इस कुत्ते को अब आसानी से नहीं छोड़ेंगे.” रॉकी की ये बात सुन कर मेरा माथा ठनक गया. लंड ने एक और झटका मारा.  “ हाँ वो तो है. इस हरामी के पिल्लै को आसानी से नहीं छोड़ेंगे.” रोन बोला.  मैंने अचानक रॉकी के जूते चाटना छोड़ दिया और घबराहट में सोचने लगा की आगे मेरे साथ क्या क्या होगा. अचानक रॉकी ने मेरे बाल पकड़ लिए और बोला “सूअर के बच्चे तूने चाटना क्यों छोड़ दिया. चल अब मेरे जूते के सोले चाट नीचे से. “ मैंने जैसे ही नज़र रॉकी के जूतों के सोल पर घुमाई, मुझे घिन्न आने लगी वो पूरी तरह से कीचड़ से भरा था और बहुत गन्दगी थी. मैं एक मिनट के लिए रुका पर इतने में सैम ने जोर से एक डंडी मेरे चुतादो पर मारी. “आह्ह्ह…..” इस आवाज़ के साथ मैंने जल्दी जल्दी चाटना शुरू कर दिया. फिर एक एक करके मैंने सबके जूते चाते मेरा मुह पूरी मिटटी की कडवाहट से भर गया और मुझे उबकाई महसूस हो रही थी. पर मेरा खड़ा लंड मेरे दौड़ते हुए दिमाग ही अलग ही कहानी बयां कर रहा था. ये एक कुत्ते की तरह जूते चाटना और उसमे भी एक आनंद का अहसास मिलना एक अलग तरह का अनुभव था. मैंने इससे पहले कभी एक कुत्ते की तरह अपने आप को महसूस नहीं किया था. अब चार जवान लडको के सामने एक कुत्ते की तरह बैठना और एक कुत्ते की तरह उनके जूते चाटने में एक अजीब सी सेक्सुअल उत्तेजना मेरे को पागल कर रही थी. मेरे लंड और गांड के आसपास का हिससा पूरी तरह उत्तेजना में जल रहा था. इस सब में कम से 30-40 मिनट निकल गए. चारो अपनी बियर का मजा ले रहे थे और मेरे से अपने जूते चटवा रहे थे और मेरे नंगे बदन को देख रहे थे जो की जूते चाटते समय पूरा देख रहा था. मेरी गांड हवा में थी और वो सीन किसी के भी दिल को बहका सकता था. बीच बीच में उनमें से किसी न किसी का हाथ मेरे शरीर पर लगते ही मेरे शरीर में करेंट सा दौड़ जाता था. और मैं मदहोश हो रहा था उनके स्पर्श से. पर सबसे बड़ी मुश्किल थी की मैं अपने जलते ही लंड को हाथ नही लगा पा रहा था. जैसे ही मैं अपने हाथ से लंड को चुने की कोशिश करता एक डंडी मेरी चुतद पर जोर से पड़ती. पर उस डंडी खाने से मेरे शरीर की आग में और घी का काम कर रही थी. चार जवान लडको के सामने नंगे होना और कुत्ते की तरह व्यवहार करना एक नया पर बहुत बढ़िया एक्सपीरियंस था मेरे लिए.

मुलाज़िम बना ग़ुलाम - 21


राहुल ने फ़टाफ़ट अपनी पैंट उतारी और बिना रुके अपना अंडरवियर भी नीचे सरका दिया...और वो अपने लंड को देखने लगा. गुलामी की शरतो के हिसाब से आज के बाद उसे अपने लंड को छूने का कोई हक नहीं होगा… ये सोच कर उसके शरीर में एक अजीब से उत्तेजना भर गयी और वो इन खयालो में खो गया की उसके साथ क्या होगा अगले चार महीनो में. उसने अपनी बॉल्स पर उँगलियाँ फेरी और उसके लंड की खाल ऊपर नीचे हिलाने लगी उत्तेजना में. वो पूरा नंगा रहेगा और अमित जो कहेगा वो मानेगा. अमित कहीं उसकी गांड तो नहीं मारेगा. अमित तो देखने में बहुत सेक्सी था. 5'9" उसकी हाइट पूरा गठा हुआ शरीर था. ना ज्यादा मसल्स थे न ज्यादा पतला, एक बैलेंस्ड बॉडी थी उसकी. वो जिम रोज़ जाता था ये उसने राहुल को बताया था और ये भी बताया था की वो बॉडी बिल्डर टाइप की बॉडी नहीं चाहता, पर एक बैलेंस्ड बॉडी चाहता है. राहुल को इस बात का अंदाज़ हो गया था की अमित उसमे इंटरेस्टेड है. जैसे शुरू शुरू में वो उसे कई बार रेस्टोरेंट लेकर गया. उसकी ज़िन्दगी और उसके साथ कौन कौन है ये जानने की कोशिश करी. वो उसकी पर्सनल लाइफ के बारे में काफी इंटरेस्ट शो कर रहा था. अमित एक डोमिनेंट पर्सनालिटी का बन्दा था. और वो ऑफिस में एक स्ट्रिक्ट बॉस था. राहुल ने इस चीज़ को भी देखा की वो लडको के साथ ज्यादा स्ट्रिक्ट रहता था मतलब मेल एम्प्लाइज के साथ ही. फीमेल एम्प्लाइज को कोई ख़ास तवज्जो नहीं थी ऑफिस में अमित के आने के बाद. पिचले छै महीनो में ज्यादातर लेडीज एम्प्लाइज ने ऑफिस छोड़ दिया था क्युकी उन्हें अमित के व्यवहार में एक कठोरता दिखाई दी. अमित की सख्त आर्डर था की नए एम्प्लाइज सिर्फ लड़के ही रखे जाए और कम से कम उम्र के, जिससे ऑफिस का एनवायरनमेंट एक मेल डोमीनेटिंग हो गया था. और बाकी बची फीमेल एम्प्ल्यीस भी जॉब चेंज करने का मूड बना लिया था. शुरू के कुछ दिन अमित ने राहुल से काफी प्यार दिखायाऔर उसकी लाइफ के बारे में सब जान लिया. फिर धीरे धीरे उसका रुख राहुल की तरफ सख्त होने लगा. अमित समझ गया था की राहुल का शहर में कोई सोशल सर्किल नहीं है. न कोई रिश्तेदार, न कोई ख़ास दोस्त. ऑफिस के कुछ कर्मचारियों से उसको दोस्ती है, पर ऑफिस के अलावा वो उनसे ज्यादा मिलने में मन नहीं रखता था. राहुल एक रिजर्व्ड टाइप का बन्दा था. और अमित इस बात को अच्छी तरह भाँपने के बाद अपने आगे के प्लान पर काम कर रहा था. पहले दोस्ती दिखा कर उसकी सारी पर्सनल लाइफ पता कर ली यहाँ तक की उसने पहली ही नज़र में ये भांप लिया था की राहुल को लडकियां नाही लड़के पसंद है. अमित एक नज़र में पहचान जाता था की वो इस लड़के को लड़के पसंद है या नहीं. अमित को साधारण गे सेक्स में कुछ ख़ास रूचि नहीं थी पर उसकी रूचि BDSM में थी. लडको को dominate करना और उन पर जबरदस्ती करके सेक्स करने में उसकी रूचि थी. अमित ने ये भी देखा की राहुल की नज़र बार बार या तो उसकी छाती या फिर उसके लंड की तरफ रहती है. हालांकि बातो बातो में जब अमित ने राहुल से उसकी सेक्स की रूचि के बारे में पूछा तो राहुल ने लड़कियों के बारे में ही बात की. पर अमित समझ गया था की उसके शब्दों में एक खोखलापन था. पूरी जानकारी लेने के बाद अमित ने अपने प्लान के मुताब़िक राहुल को dominate करना शुरू कर दिया. बात बात पर बुलाना और उसे जलील करना, कई बार और लोगो के सामने भी. राहुल समझ नहीं पाया था की ऐसा क्या हुआ. उसने सोचा की शायद अमित अब उसमे इंटरेस्टेड नहीं रहा. पर अमित उसे बात बात पर बुलाता था. ज्यादातर बिना किसी कारन के. राहुल कन्फ्यूज्ड हो गया. पर जब जब अमित उसको डांटता था, राहुल कप अजीब सा excitement होता था. उसको अपने बॉल्स में सरसराहट महसूस होती थी. उसके लुंड में खून भरने लगता था. कई बार उसे अपनी पैंट के टेंट को छुपाने के लिए हातो से अपने लंड को सीधा करना पड़ता था. वो इस बात को भी नोटिस किया की अमित की नज़र उसके हाथो के मूवमेंट और पैंट के टेंट पर रहती थी. यानिकी अमित समझ गया था की राहुल को इस अपमान में एक अजीब सी उत्तेजना महसोस होती है और वो एक गुलाम बनने के लिए पूरी तरह फिट बन्दा है. राहुल अक्सर अमित से अपमानित होने के बाद ऑफिस टॉयलेट में जाता था और मुठठ मारता था. वो सोचता था की अमित उसे अपमानित कर रहा है और वो भी सबके सामने. ये सोच सोच कर उसका लंड और सख्त हो जाता था. और वो हिला हिला कर झाड देता था. धीरे धीरे अमित ने भी इस बात को नोटिस किया की राहुल उससे डांटखाने के बाद सीधा टॉयलेट जाता है, वो समझ गया की राहुल मुठठ मारने ही जाता है. इससे उसकी हिम्मत और बड गयी. एक दो बार अकेले में उसने अमित को थप्पड़ मारा और उसने देखा की राहुल का लंड खड़ा हो जाता था थप्पड़ खाकर. और आश्चर्य की बात की राहुल ने कोई विरोध नहीं किया. राहुल सिर्फ एक मुलाज़िम था कंपनी का और किसी भी बॉस को किसी मुलाजिम पर हाथ उठाने का अधिकार नहीं, पर राहुल ने ऐसा कोई विरोध नहीं किया. अब अमित को लगने लगा था की उसका प्लान काम कर रहा है. वो धीरे धीरे राहुल पर अपना कब्ज़ा मजबूत कर रहा था और राहुल अभी अपने काम्ग्नी के आगे मजबूर अमित के जाल में फंसता चला जा रहा था. उसको हमेशा से Dominating लड़के पसंद थे. चाहे वो स्कूल हो या कॉलेज. वो हमेशा से ऐसे लडको के बारे में सोच सोच कर मुठठ मारता था. इस बार वो पूरी तरह से अमित के dominate करने वाले स्वाभाव के आगे पूरी तरह से हार गया था. वो रात दिन उसके दवाब में मजबूर हो गया था. वो किसी भी तरह अमित से डांट कहने या पीटने के बहाने ढूँढने लगा. और उधर अमित मन ही मन अपने प्लान पर खुश होने लगा और राहुल पर अपना कब्ज़ा बढाने लगा. एक दो बार उसने राहुल के काम खींचे और उसने राहुल के मुह पर एक अजीब सा दर्द भरा आन्नद देखा इस अपमान से. अमित समझ गया की अब उसका शिकार उसके कब्ज़े में आ गया है और अब उसको गुलाम बनाने का समय आ गया है.
राहुल का हाथ उसके लुंड पर था. उसका लंड पत्थर की तरह सख्त था. ये सोच कर के आज के बाद वो कभी भी अपने लंड को अपनी मर्ज़ी से नहीं छू पायेगा, उसके शरीर में आग लग गयी और वो जोर जोर से अपने लंड को हिलाने लगा. कुछ ही मिनटों में उसका लंड जोर जोर से झटके मारने लगा और खूब सारा पानी झाड़ा. अपने हाथों और पेट पर पड़े ही वीर्य को देख और उसे चाटने लगा. ये सोच कर उसका दिमाग फटने लगा था की आगे क्या होने वाला है. सच तो ये था की उसे डर कम और excitement ज्यादा था. इसके बाद उसकी आँख लग गयी और जब खुली तब तक ६ बज चुके थे. अमित ने उसे दस बजे ऑफिस में रिपोर्ट करने को बोला था. राहुल जल्दी से घर बंद करके अपने ऑफिस पहुंचा. उसने देखा की ऑफिस में कोई नहीं था. और सिर्फ अमित अपने केबिन में था. उसका केबिन खुला था. राहुल सीधा अमित के केबिन में पहुंचा. अमित ने आँख भी उठा कर नहीं देखा. जैसे उसके लिए इस बात की कोई वैल्यू न हो की कौन आया है. राहुल के घुसते अन्दर से डोर बंद करने को कहा. उसने राहुल की और देखे बिना उसे पूरा नंगा होने का आर्डर दिया. राहुल घबरा गया. अमित ने बिना ऊपर देखे बिना फिर से उसे पूरा नंगा होने को कहा. जब राहुल बुत की तरह खडा रहा. तो अमित तेजी से अपनि डेस्क से उठा और जोर से एक थप्पड़ राहुल के मुह पर जड़ दिया….”तड़ाक ……” (पार्ट -1 पडीये….इससे आगे के लिए)
अचानक राहुल अपने खयालो से बाहर आया. उसने देखा की अमित अभी भी काम में लगा है. और वो वहां नगा खडा है. राहुल अपनी बीती ज़िन्दगी में चला गया था जब राहुल ने उसे वहीँ कमरे में नंगा खडा होने को कहा था. (पार्ट 16 में राहुल खयालो में गया था अपनी पिछली ज़िन्दगी में.)

to be continued...

मुलाज़िम बना ग़ुलाम - 20


राहुल के अगले तीन दिन सब जगह भागते धौदते निकले. उसने कई जगह से पैसा का इंतज़ाम करने की कोशिश करी. पर कुछ नहीं हो पाया. उसके पास हर महीने 1000/- - 1500/- से ज्यादा कभी नहीं बचते थे. वो अपने घर पैसे भेजता था और घर का किराया जहाँ वो रहता था. इस सब के बाद कुछ नहीं बचा पाटा था वो. फ्राइडे सुबह तो उसे पता चल गया की अब उसकी ज़िन्दगी बदलने वाली है अगले चार महीने के लिए. कई बार शहर छोड़ कर भागने का विचार मन में आया, पर ये सोच कर की कहीं अमित पुलिस के पास पहुंच गया तो वो एक मुजरिम हो जायेगा. वो भाग कर जाए ही तो जाए कहाँ जाए. गाँव गया तो सबको क्या जवाब देगा. और घर का खर्चा भी तो उसी के पैसे से चलता था. पर अगले चार महीने कैसे घर का खर्चा चलेगा. फ्राइडे दोपहर के एक बज गए और उसे पता लग गया की उसके पास कोई आप्शन नहीं है. तभी फोन की घंटी बजी उसका दिल जोर जोर से धड़कने लगा. उसने मोबाइल उठाकर देखा तो वो अमित का था. उसका दिल उछलकर उसके गले में फंस गया जैसे. उसने जैसे तैसे हिम्मत करके फोन उठाया और कांपती आवाज़ में बोला.” हे…..लो……” “ क्यों बे हरामी की औलाद तिन दिन से तो तेरा पता ही नहीं है. पैसो का इंतज़ाम हुआ…” गाली सुनकर राहुल के लौड़े में खून भरने लगा…
“सर प्लीज मुझे थोडा टाइम और दीजिये, मैं इंतज़ाम कर लूँगा. प्लीज सर प्लीज……..” राहुल गिडगिडाने लगा…
“तो कमीने इसका मतलब पैसे का इंतज़ाम नहीं हुआ.” अमित बोला.
“सर प्लीज मैं आपसे भीख मांगता हूँ, मुझे थोडा टाइम और दे दीजिये.”
“आज शाम को 8 बजे मुझे मेरे ऑफिस में मिल आकर. वैसे तो कोई नहीं होगा, पर अगर कोई मिले तो बोल दियो की पिचले तीन दिन से मैंने तुझे किसी काम से चेन्नई भेजा था. और आगे भी तू नहीं रहेगा कुछ दिन. मैं नहीं चाहता की ऑफिस में कोई घुसर पुसर हो तुझे लेकर...समझा….” अमित ने राहुल की बातों को कोई तवज्जो नहीं दी.
“सर प्लीज…..”
“अबे जो मैंने कहा वो समझ गया न… नहीं तो आज रात को ही पुलिस तेरे घर पहुँच जायेगी…..” अमित ने राहुल को धमकाया.
“नहीं सर प्लीज. मैं 8 बजे ऑफिस पहुँच जाऊँगा…” रहुल ने डरते ही जवाब दिया.. और अमित ने बिना कुछ कहे फोन काट दिया.
राहुल धक् से पास पडी कुर्सी पर बैठ गया…..उसकी साँसे बहुत तेज़ चल रही थी. उसके आखों के सामने वो स्टाम्प पेपर घुमाने लगा जिसमे उसकी गुलामी की शर्तें लिखी हुई थी और वो साइन करके आया था.
“मैं राहुल गुप्ता सन ऑफ़ कैलाश कुमार गुप्ता, अपने पुरे होशो हवाश में ये कुबूल करता हूँ की मैंने अपने कंपनी अमित अगरवाल एंड एसोसिएट्स से ५ लाख का गबन किया है जिसका पूरा प्रमाण मेरे कंपनी अध्यक्ष श्री अमित अगरवल के पास है. अब जब ये साबित हो गया है की मैंने ५ लाख कंपनी से गबन किये है, मैं कानून के द्वारा निर्धारित सज़ा का हकदार हूँ. पर श्री अमित अगरवाल ने मेरे ऊपर दया दिखाकर मुझे पुलिस के हवाले नहीं किया है बल्कि मुझे 4 महीने के लिए उनकी गुलामी करने का अवसर दिया है जो मैंने सहर्ष स्वीकार कर लिया है. उनकी इस दया के बदले मैं अपनी इच्छा से श्रीअमित अगरवाल के यहाँ गुलाम बनकर अपना 5 लाख का क़र्ज़ चुकाने के लिए 4 महीने के लिए गुलामी बिना किसि शरत के करने के लिए तैयार हूँ. श्री अमित अगरवाल गुप्ता द्वारा रखी गयी निम्नलिखित शर्तें मुझे पूरी तरह मंजूर है.
गुलाम यानी दास के रूप में मैं मेरे मालिक श्री अमित अगरवाल तथा उनके द्वारा अधिकरित कहे गये किसी भी व्यक्ति के सभी काम करने में कोई झिझक नहीं दिखाऊंगा. कार्य किसी भी तरह का या किसी भी निम्न स्तर का क्यों न हूँ, मुझे उसे न करने का कोई अधिकार नहीं होगा. मना करने की स्तिथि में या फिर कहे गये कार्य को ठीक से न किये जाने की स्तिथि में मैं सजा का अधिकारी हूँगा. ये सजा मालिक या उनके द्वारा अधिकृत किसी भी व्यक्ति के द्वारा दी जा सकेगी और सजा का निर्णय पूरी तरह से मेरे मालिक पर रहेगा. मुझे किसी भी तरह का विरोध करने का अधिकार नहीं होगा. इस सजा की वजह से अगर शारीर पर कोई क्षति या नुक्सान होता है तो मुझे शिकायत करने का कोई अधिकार नहीं होगा.
गुलाम के रूप में मुझे पूर्णतया नग्न रहना होगा. पूर्णतया नग्न अर्थात किसी भी तरह के वस्त्र जैसे अंडरवियर या बनियान आदि भी नहीं. यानि की आज से लेकर अगले 4 महीने तक मुझे किसी भी तरह के वस्त्र पहनने का अधिकार नहीं होगा. यह शर्त घर के अन्दर तथा बाहर सभी जगह लागू होगी. घर में आये किसी भी महमान के सामने भी मुझे पूर्णतया नग्न रहना होगा.
अपने शःरीर पर सिर के अलावा कही भी बाल रखने का अधिकार नहीं होगा. इसका मतलब मुझे नियमित अंतराल पर अपने शारीर के बालो को शेव् करना होगा. इस नियम पर कोई कोताही बरतने पर मैं सजा का अधिकारी होउंगा.
सांस लेने के अलावा कोई भी कार्य बिना मालिक मकान की आज्ञा के नहीं कर सकूंगा. मल मूत्र विसर्जन के लिए पूरी तरह से मकान मालिक या उनके द्वारा अध्रिकृत व्यक्ति की आज्ञा पर निर्भर रहूँगा.
अपने यौन अंगों पर मेरा कोई अधिकार नहीं होगा. किसी भी तरह से किया जाने वाला वीर्य स्खलन, चाहे जन बूझ कर या अनजाने में, कड़ी से कड़ी सजा का अधिकारी हूँगा. अपने यौन अंगों को जैसे लंड, गांड और अण्डकोश (balls) को छूने का कोई अधिकार नहीं होगा. किसी भी उत्तेजना की स्तिथि में तुरंत मालिक या इसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति को सूचित करूंगा. ये पूरी तरह से मेरे मालिक के हाथ में होगा की वो मुझे वीर्य स्खलन या हस्थ्मैथुन की आज्ञा दे या न दे. मुझे किसी भी तरह के विरोध करने का अधिकार नहीं होगा.
मेरे मालिक या उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति मेरे शारीर को पूरी तरह से उपयोग कर सकेगा अपनी यौन इच्छा शांत करने के लिए. यानी की वो जब भी चाहे मेरी गांड मार सकेनेगे. मुझे किसी भी तरह के विरोध करने का कोई अधिकार नहीं होगा.
मैं अपने सारे मानव अधिकारों को अपने मकान मालिक के हाथ में सोम्प्ता हूँ और किसी भी तरह की शिकायत मैं पुलिस या मानव अधिकार आयोग या किसी गैर सरकारी संस्था से नहीं करूंगा.
किसी भी तरह से भागने की स्तिथि में, मेरे मालिक को पुलिस के पास जाकर शिकायत करने का पूर्ण अधिकार होगा. ऐसी स्तिथि में अपने द्वारा गबन किये गए रुपये तुरंत लोताने होंगे ब्याज के साथ. ब्याज दरें 10% महिना होगी.

हस्ताक्षर
(राहुल गुप्ता)”
वो स्टैम्प पेपर कि सारी शर्तों के बारे मे सोचने लगा और उसका लंड पत्थर की तरह सख्त हो गया. अनायास ही उसका हाथ अपने लंड पर पहुँच गया और वो उसको जोर जोर से दबाने लगाने लगा…
to be continued......

मुलाज़िम बना ग़ुलाम - 19


क्या….." राहुल ने अचम्भे से पुछा. “क्यों बे बहरा है क्या….? मेरे जूते चाट.” अमित ने जवाब दिया.
“सतीश तू अपने पुलिस स्टेशन फोने कर….” अमित जोर से बोला.
“नहीं सर…. प्लीज…. मैं चाटता हूँ. “ राहुल ने घबराकर कार कहा.
राहुल के लिए इससे बड़ी बेअज्जत्ती आज तक नहीं देखि थी. इस सब से उसका लंड एक दम खड़ा हो गया और बहुत सख्त हो गया. राहुल धीरे धीरे अमित के जूतों की और बड़ा. और उसके जूते चाटने लगा. उसको बहुत घिन्न आ रही थी पर इस अपमान में भी एक अजीब उत्तेजना का अहसास हो रहा था. अमित और सतीश ने हँसना शुरू कर दिया. राहुल के अपमान की सीमा न रही. उसका लंड उसकी पैंट में झटके मारने लगा. अमित ने एक एक करके अपने दोनों जूते राहुल से चत्वाए. उसके बाद उसने सतीश के जूते चाटने को कहा. राहुल इस अपमान को सहन नहीं कर पा रहा था. पर उसके बाद कोई और रास्ता नहीं था. राहुल ने सतीश जो की एक अनजान आदमी था, के ही जूते चाटे. इस अपमान के बावजूद वो क्यों इतना उत्तेजित महसूस कर रहा था ये उसे ही पता नहीं था. आखिर में सतीश ने उसे अपने जूते के बल पर धक्का दिया और जोर से हंसने लगा. अमित और सतीश की हंसी से उसके लंड ने और जोर से झटका मारा. उसने धीरे से अपने लंड को पैंट एडजस्ट किया.वो उस फजीहत से बचना चाहता था जो उसके पैंट में खड़े लंड से होने वाली थी. राहुल जमीन से उठने लगा, इतने में सतीश ने अमित से पुछा. “फिर क्या करना है इस कुत्ते का?” अमित थोड़ी देर तक राहुल की और देखने लगा. फिर बोला. “देख भे हरामी, तेरे को मैं ३ दिन का टाइम देता हूँ, पर…….” राहुल को थोड़ी रहत मिली. “ पर…. अगर तीन दिनों में ५ लाख का इंतज़ाम नहीं हुआ तो ततू जेल जाएगा और ज़िन्दगी भर के लिए कही नुँकरी नहीं मिलेगी तुझे.” राहुल आखों में आंसूं भर कर रिक्वेस्ट करने लगा. “ सर तिन दिनों में ५ लाख किसी भी हालत में इंतज़ाम नहीं कर सकता, प्लीज मुझे कम से कम एक महीने का टाइम तो दीजिये प्लीज. प्लीज मुझे पुलिस में मत भेजिए. नहीं तो मेरी ज़िन्दगी बर्बाद हो जाएगी, कोई नौकरी नहीं मिलेगी मुझे सज़ा काटने के बाद भी, मैं भूखों मर जाऊँगा. प्लीज मैं आपसे भीख मांगता हूँ.”
“ बिलकुल नहीं सूअर की औलाद……”
“प्लीज सर……”
“साले ये तो गबन करने से पहले सोचना चाहिए था…..”
“प्लीज सर मैं आपकी गुलामी करने को भी तैयार हूँ मैं…..”
अमित की आखें चमक गयी…..”क्या बोला तू?”
“ जी सर मैं आपकी गुलामी करूंगा. प्लीज मुझे जेल मत भेजिए….”
“ठीक है, मैं तुझे ३ दिन का टाइम देता हूँ, नहीं तो अगले चार महीनो के लिए तू मेरा गुलाम होगा….”
राहुल स्तब्ध रह गया. उसे नहीं समझ आया की वो क्या करे. किसी तरह अपनी ज़िन्दगी बचाना चाहता था वो, क्युकी एक बार जेल जाने के बाद उसे कोई नौकरी नहीं देगा….
“गुलाम का मतलब पता है तुझे…..” अमित ने पुछा.
“ जी वो…..मतलब आपका नौकर……” राहुल ने झिझकते हुए बोला.
“नौकर और गुलाम में फर्क है गधे….. नौकर सिर्फ काम करता है और उसे पैसे मिलते है. गुलाम के साथ वो नहीं है. उसे कोई पैसे नहीं मिलते और उसकी अपनी कोई ज़िन्दगी नहीं होती, न मर्ज़ी न इच्छा और न ही कोई तमन्ना. वो सांस भी लेता है तो मालिक की ख़ुशी के लिए और बिना मालिक की मर्ज़ी के वो सांस भी नहीं लेता...गुलामी एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. गुलाम एक इंसान नहीं बल्कि एक कुत्ते की तरह मालिक की इच्छा से जीता है. मंजूर है तुझे????......” अमित के ये शब्द सुनकर राहुल कांप गया. “ बोल साले हाँ या ना…..” . “ जी ….वो…..” राहुल कांपने लगा. “हाँ या ना…..” अमित चिल्लाया. “ जी हाँ मुझे मंजूर है.” राहुल ने घबराकर जवाब दिया.
अमित ने मुस्कुराकर कहा “ ठीक है राहुल, तू बहार जाकर बैठ, मैं सतीश के साथ बैठकर तेरी गुलामी की शरतें लिखकर तुझसे साइन लेता हूँ. अगर फ्राइडे तक पैसे मिल गए तो तेरे पास आजादी है, नहीं तो अगले चार महीनो की पूरी गुलामी. सांस लेने के अलावा तू कोई काम मेरी मर्ज़ी के बिना नहीं करेगा. जा बहार जाकर मेरा वेट कर..”
राहुल बहार जाकर अपनी सीट पर बैठ गया. 30 मिनट के बाद अमित ने उसे अन्दर बुलाया. राहुल जैसे ही टेबल के सामने आया, अमित ने एक स्टाम्प पेपर टेबल पर फेंका और कहा “ रहुल अपनी गुलामी के शर्तें पद ले. बाद में मत कहियो की तुझे पता नहीं था. अगर मंजूर है तो ठीक वरना मुझे इसी टाइम पुलिस को कॉल करना होगा.”
राहुल डर गया. उसने स्टाम्प पेपर की शर्तें पड़ी, उसका चेहरा पीला पड गया और उसके हाथ पैर कांपने लगे… “ सर प्लीज इतने स्ट्रिक्ट मत बनिए…..” राहुल भीख माँगने लगा.
“ बहनचोद तेरा रोना पीटना देखने के लिए टाइम नहीं है मेरे पास. साइन कर नहीं तो सतीश अभी पुलिस को फोने करेगा. “ अमित चिल्लाया.
राहुल के पास कोई उपाय नहीं था. उसने पेपर उठाया और साइन कर दिए. उसकी आखों से आंसूं बह रहे थे. पर उसका लंड उसकी पैंट में जोर जोर झटके मार रहा था. उसके लंड में उत्तेजना बहुत बड गयी. वो किसी तरह से अपने लंड की उत्तेजना को कम करने के लिए हाथ से दबाने लगा, पर उत्तेजना बहुत ज्यादा बड चुकी थी और एक ऐसे मुकाम कपर पहुँच गयी की वो कुछ नहीं कर पाया. इससे पहले की वो कुछ सोच पाता उसके लंड ने उत्तेजना में जोर जोर से झटके मार कर पानी छोड़ना शुरू कर दिया. इन गुलामी की शर्तों ने उसके पुरे शरीर में एक अजीब सी सरसराहट भर दी इससे पहले की वो कुछ सोच पाता उसका लंड झड गया. और कुछ सेकंड्स के लिए राहुल को पता ही नाहा थी को वो कहाँ है और क्या कर रहा है. अमित की आखें राहुल पर ही थी. उसने राहुल के चेहरे के बदलते रंगों से पहचान लिया की उसके मन में क्या चल रह है. राहुल को जब होश आया तो उसने महसूस किया की उसका अंडरवियर पूरा उसके वीर्य से भर गया है और उसकी ग्रे कलर की पैंट पर एक बड़ा सा धब्बा अलग से धिकने लगा. उसने हाथ से उसे छुपाने की कोशिश करी, पर अमित ने नोटिस कर लिया.
“हाथ पीछे…..” अमित ने फरमान सुनाया. राहुल घबरा गया. सतीश भी देखने लगा की ऐसा क्या हुआ की अमित ने राहुल को हाथ पीछे करने को कहा.
“ मैंने कहा हाथ पीछे…..” अमित दुबारा चीखा.
राहुल ने हाथ पीछे किये. “देख सतीश, इस हरामी का तो लंड झड गया. हे हे हे……..” अमित अचानक जोर जोर से हंसाने लगा. सतीश ने भी राहुल की पैंट की और देखा और उसकी भी हंसी छुट गयी. “ हा हा हा हाहा…..” राहुल की पैंट पर एक बड़ा सा गिला धब्बा उसके वीर्य का पड़ गया. राहुल का चेहरा जो पहले से ही डर के मारे लाल था अब शर्म से और लाल हो गया जैसे खून टपकने लगा हो. “साले का लुंड झाडा लगता है…..देख वो बड़ा सा धब्बा. सतीश उठा और उसकी पैंट खोलने लगा. राहुल ने हाथ से उसे रोका. “हाथ पीछे राहुल……” राहुल ने दया भरी नज़र से अमित को देखा पर उसका चेहरा बहुत सख्त था. राहुल ने हाथ पीछे कर लिया. सतीश ने रौल की पैंट खोली और नीचे सरका दी उसके घुटने तक. राहुल ने नीचे देखा की उसका पूरा अंडरवियर गिला था और उसके अपने पानी से भरा था. सतीश और जोर से हंसाने लगा. राहुल के सर पर जैसे आसमान टूट गया. अमित भी अभी तक हंस रहा था. सतीश से फिर अंडरवियर भी और फ़टाफ़ट नीच कर दिया. राहुल का लंड अब आधा खड़ा था झड़ने के बाद. पर उसके लंड के सुपाडे पर पूरा वीर्य लगा हुआ था. सतीश ने राहुल के लंड पर उंगली फेरी और राहुल का झडा हुआ वीर्य अपनी उंगली पर लिया और राहुल के होठों पर लगा दिया. “चाट साले अपना पानी…. हे हे हेहे ….” सतीश के टच करने से राहुल को एक अजीब सी सनसनाहट हुई. उसने अपना वीर्य चाता. सतीश मुड़ा और अपनी अमित की और देखा. अमित ने सतीश को बैठने का इशारा किया. सतीश ने वैसे ही किया.
“अबे तेरा लुंड क्यों झड गया. बहुत excited हो गया गुलामी की शर्तें पद के.?” अमित ने पुछा. राहुल ने गर्दन नीची कर ली. “ चल ठीक है अपना अंडरवियर उतार पूरा और जो पानी झडा है तेरा उसे चाट.” अमित राहुल को खूब अपमानित करना चाहता था. राहुल ने अचम्भे भरी नज़र से अमित की और देखा. अमित ने घूर कर राहुल को देखा और तभी राहुल ने अपनी पैंट और अंडरवियर को उतारा और अपने अंडरवियर के गीले भाग को चूसने लगा. राहुल इस अपमान को सहन नहीं कर पा रहा था. अपने अंडरवियर को चूसते ही उसका मुह अपने ही वीर्य की महक में खो गया. राहुल अपने ही वीर्य की महक से मदहोश होने लगा. उसको ये महक बहुत पसंद थी बचपन से. अक्सर वो अपने अंडरवियर में मुठ मार कर उस अंडरवियर को सूंघता था और बहुत उत्तेजित हो जाता था. आज पर दूसरी स्तिथि थी पर राहुल अभी भी अपने मन को कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा था. कुछ देर बाद अमित चीखा “ ठीक है साले अब अपने इन गीले कपड़ो को पहन और यहाँ से दफा हो जा. इसके बाद तू मुझे फ्राइडे शाम को मिलेगा, या तो पैसो के साथ या फिर गुलाम बनाने के लिए. समझा ना साले??” राहुल ने डर के मारे अपना सर हिलाया. “ चल फुट यहाँ से. “ अमित फिर बोला. राहुल बे फटाफट अपने कपडे पहने और रूम से निकल गया. वो सीधा अपनी डेस्क पर गया. अपना बैग उठाकर अपने ऑफिस की बिल्डिंग से बहार गया और ऑटो पकड़ कर अपने घर की और रवाना हो गया. वो कब अपने घर पहुँच गया उसे पता ही नहीं चला. पुरे रस्ते उसका दिमाग अब अपनी आने वाली ज़िन्दगी पर घूम रहा था.

To be continued…..

Saturday, 5 August 2017

A Strict Father - 19

Further exercise

“Aaaaaahhhhhhhhh” Ravi came back to senses with the hit on his asscheek by his father. He realised that his father had asked him to tie his shoes to the balls. He took the laces of one shoe and tied to his dick and balls  as he thought shoes are too heavy for the balls. Roshan observed that Ravi has tied shoelaces to his dick and balls. He became red with anger. He slapped Ravi….” Dont you hear properly what i say. I said tie my shoes to your balls. And asshole what you have done.” Ravi was totally shocked with the slap as he thought he had what was being told to do. “Sorry Sir…I will try again.” HUrriedly Ravi replied, but frankly speaking he didnt know what he did wrong. He opened and tied it again the same way. This made Roshan really angry. He pulled the tied shoes towards him which made Ravi to scream in pain….”Aaaahhhhhh” “where is your brain gone you dumbass? Why cant you understand simple things. “ Roshan shouted. “Sir plzzzzzzzz…. ……aaahhhhhh….  aaaaaaaajhhhhhhh….Sir plz correct me but its paining…… …..” Ravi groaned in pain. Rodhan pushed his body back while pulling his shoes on Ravi’s balls. “ What did I say and what you do. Your brain is in your ass or what….why it does not work timely.” Roshan continued shouted. “Sir… plz let me knoww….whats wrong…..its paining sirrrr…….. Ahhhhhhhaaaaaa…..” Ravi was in pain. “ I asked you to tie the shoes to your balls ONLYYYY, and you are tying it to your dick as well…. Trying to be smart with your father” Ravi realised his mistake now. “ I will just correct it sir… Plzz forgive me…..” Roshan was hard with the misery of Ravi and seeing him in total helpless situation. He left his shoes on Ravi;s balls and in a hurry Ravi immediately took shoes out and started tying the shoelaces on his balls. But very soon he realised that its more painful. As soon as he tied and left it. It stretched his balls to lower and surely pulling balls down which causes the pain and he immediately held the shoes with his hands. THis surely was not acceptable to ROshan and he ordered Ravi “ Hand on the back of your head….. And legs apart..” Ravi immediately abide to the order. “Now start Utahk Baithak (Hindu Squats in english)…”Ravi was shocked to hear this order from Roshan. In General full hindu squat are exhausting, then being nude in front of own father and then balls tied with heavy sports shoes. Its going to be a painful exercise, Ravi realised and more than that so humiliating. Authority of Roshan order and humiliation associated with it made blood of Ravis’s body to get stored in his dick. In 1-2 seconds his dick was rock hard and dripping in pain and humiliation in front of his father. “Start squats now…” Roshan ordered and Ravi immediately started. First time when he squatted and stood back, his balls had big pressure on them. He moaned a bit in pain “aaahhhhhh….” and looked at his father for mercy, but Roshan face was damn grim. He continued the squats and movements of shoes because of squatting and getting up, increased his pain, but at the same time this insult of doing nude squats made his dick harder and harder. In one way it was better as it could reduce the pressure on balls, but at the same time balls were getting pulled more and more with pressure and pain was increasing. “Aaahhhh……” was the usual sound coming out of his mouth when standing back. Roshan was enjoying this pain of Ravi and was hard too. Hardly 15 squats Ravi did and his legs, knees and ankles were badly paining and he was puffing too. “Sorry SIr I cant do more…..” Ravi begged. Roshan replied “ COntinue till i stop you…” Ravi Tried hard, but sat on the floor and looked at Roshan’s face which are more grimmer because of his sitting. He took shoes in his hands and pulled it up this forced Ravi to stand in pain….”aaaahhhhhhh……..” He got up in a hurry, but his legs and knees were paining still. Roshan held Ravi’s chin hardly and started roaring…”Did i ask you to stop…?” Ravi somehow gathered some courage and replied “ I am sorry Sir…”
“Tadaak….” one big slap on his face and ravi was down on floor with stars in front of his eyes. Roshan again held him by his ears and dragged him without giving him time to recover. Somehow Ravi got up and his ear was paining and he was groaning in pain…”aaahhhhhaaa….” but at the same time super excited by being pulled up by his father by his ear. He felt himself as a five year old boy pulled up for some silly mistakes. All this along, the humiliation of being teenage pulled up like a 5-6 year old boy was making him hard down there.
“You asshole, what are you upto… cant do simple things as well. Just hardly 15 squats by a young teen age boy. I am really disappointed with your stamina. Pathetic, Surely I need to probe more into your life, which i didnt do so far…..” Roshan shouted.
Ravi stood there ashamed on his incapability to do simple things and felt so pathetic not able to please his master his father

Roshan was still holding him by his ears and started dragging him by his ears upstairs from basement. Ravi still had tied up balls and hanging shoes which were giving him pain, but roshan was least bothered and continued to move upwards from basement. He was walking fast enough while Ravi was being pulled by his ears. He was trying hard to get Roshan’s hand off his ears, but Roshan held it too hard. “Aaahhhh….aahhhhhhh…..ooohhhhhhh” Ravi was moaning in pain and excitement associated with it. His hard dick which was aroused by this insult was moving slightly up down with his movement and Roshan was really enjoying it while ravi continued his groaning. He also had hard dick in his exercise shorts, somehow Ravi busy with his pain could not notice Roshan’s excitement.

To be continued….

A Strict Father - 18

Exercise or Punishment?

Ravi was total in ecstasy without even realising that ROshan was observing him. He was fuming with Anger. He rushed to Ravi and slapped him so hard that Ravi fell on ground.
“Tadaaaaak…….”
“Aaahaaaaahhhhh”
“How Dare you shake your dick. What I had told u bloody asshole” Roshan was roaring like a lion. Ravi started shivering in fear. “ tell me now…. What i had told u pighole…..”  Ravi was still in Dilemma…..”Tadaaaaak….. I want to hear nowwwwwww……” Roshan had raised his pitch. Ravi had no option but to speak….” Ji wo….Sir…...Sir…. i am not supposed to touch my dick….” Ravi spoken feebly. “Then how dare you touch and shake your pathetic Dick u fuckface” Roshan shouted….” I want an answer to that.” Roshan repeated as Ravi Didnt give any answer to him.

“I am Sorry Sir…...please forgive me” Ravi begged.
“ i want to know what were you thinking while shaking your dick……” Roshan shouted.
“ Sir… Please forgive me. ….” Ravi was stil begging.
“I want to know whats going on in your mind now……” Roshan shouted again.
Ravi was so embarrassed...but he was scared as well. So he decided to reveal the truth.
“Sir…. Sir. … i was thinking about Chetan………..”
“Chetan….. Who Chetan….. Oh that son of Mr Gupta our neighbor…..”
“Ys Sir…….”
“How come you were getting hard thinking about him……”
Ravi Didnt answer and just lowered his head. “I want an answer you bloody asshole…..” Roshan was again shouting. Ravi just shook with Roshan’s shout.
“Ji…...wo…..ji…….” Ravi just kept on Murmuring.
Tadaaaaak…….. A big slap came straight to Ravi’s face.   “Aaaaaahhhhhhhh”
“Please forgive me Sir… i will not do it again……. But dont beat me more…….” Ravi begged.
“I want to know everyhting between you and Chetan…..”
“I and Chetan are in………” Ravi’s voice was wavering with fear, but he was too scared to hide anything.”......we are in……”
“We are in WHAAAAT?........”
“We are in physical relationship…….” Ravi hesitatingly murmured and looked into the eyes of hsi father with fear.
Roshan was shocked to hear this…..his face became total grim and red with anger.
“ FOr how long you are doing all this……” Roshan shouted.
“ FOr one year sir….” Ravi sheepishly replied.
Roshan became more grimmer and more in anger……
“ i need to take more grip on your kinky life you asshole…. I am working my ass whole day and bloody you are enjoy sex here……”
Roshan help Ravi’s ears and pulled him up.
“ your this tool is out of control i guess, this need to be corrected…”
Roshan was quiet for few seconds. “ I will dig into it more later, but you need to exercise…..”
Ravi was still moaning in pain of his father holding and pulling his ear like a five year old kid. He was finding it too humiliating. He was already filled ashamed of his truth came out in front of his father. This combination of humiliation and embarrassment was making him horny.

“Do push ups….. Do until i stop you to do so. Ensure that your hard dickhead touches the ground each time. Keep my shoes near your head and each time you need to pick the shoe when you come down…… each time say sorry sir please forgive me…” ROshan ordered. Ravi got really embarrassed. Ravi started doing push up. Total nude and doing pushing ups in front of his father was a big turn on for him. Fathers domination was just driving him crazy. He started pushups and each time hard dick touching the ground was a too arousing. It was sending an erotic sensation into his dick and whole body. Each time he spoke what his father asked him to speak “Sorry Sir please forgive me.” He wld hv hardly done 20 pushups, he got really tired and begged his father “Sir please I cant do more.” “what…...just 20, that's too bad Boi…..young boi cant even do 20 pushups shame on you… learn something from your father….” but by the time 21st pushup, Ravi could not have any further push for himself….he just fell flat on to the ground panting fastly….Roshan became angry and he straight hit on Ravi ass with the twig which he was holding. “Aaaahhhh……” Ravi screamed in pain. “do it more….” shouted….”Ravi again tried, but in vain. He didnt had enough strength at all for pushing himself up.”get up….get up u worthless piece of shit….i need to make you learn this as well….” Roshan shouted with raining Ravi ass with twig…. Which was quite painful but erotic for Ravi. “Sir please forgive me….I will try again….Plz” he begged to escape himself from further pain of twig.
“No trying… I need to work on your exercise schedule….. What a pathetic stamina you have.”
Roshan responded in harsh tone.”Take my sports shoes….and tie it ur balls.”

Ravi was confused… “Did you understand what i said….” Roshan was on high pitch this time. Ravi without answering just ran towards Roshan sports shoes which he had just removed. He just looked at those. He felt a bit aroused with the smell of his father's shoes, specifically the sweat smell was too much for Ravi to handle, he just got lost in the sweat smell and forgot what his father had told him.

to be continued....

A Strict Father - 17

Its time for exercise dog.

After enough of teasing Suddenly Roshan got up and spoke authoritatively “ GO and bring my Gym dress, I want to exercise now.” Ravi was in shock as he somehow wanted to cum. But Roshan was least bothered. Ravi started getting up, Roshan shouted “ go as Dog only and bring dress in your mouth.” Ravi was surprised with this order, but walked slowly towards cupboard and brought Roshan’s T shirt and shorts one by one in his mouth. Rishan wore them one by one and suddenly went out of room. Ravi was standing like a dumb ass in dog pose with his dick dripping with precum. He could not think what to do… follow his father or stand there like a dumb. SUddenly he thought that anyway his father is expecting him to act like dog and dog is supposed to go where his master goes. So he started walking behind Roshan. Roshan was looking slightly behind to see if Ravi uses his brain. He was happy that Ravi was walking like Dog only, not human being. He enjoyed the fact that his son has started getting conditioned to his new position as slave. Roshan continued walking and went towards the entry door of the house and towards the gate of the house. This was a shock for Ravi as he was hesitant to go out. Roshan knew that there is a door from inside which goes to basement of the house where he had a small gym, but he purposely took outside door and then reenter into basement from outside to humiliate Ravi. Ravi stopped there at the door and was in complete dilemma. Roshan went ahead and waited for a minute and when Ravi didn't turn up outside, he came inside fuming, held his sons head with hair and slapped hard on his face. “Aaaaa hhhhhh”, Ravi moaned in pain. He just looked at Roshan in a helpless state.
“Dog, why you stopped following me, don't you know a dog goes where master goes?”
“Yes Sir….. But……...outside…. Like this………..please Sir……..” Ravi just murmured in the fear of getting hit again.
Roshan just stopped him in between….” Dogs have no pride u dumbass...Follow me immediately if you don't want to get ripped apart….”
Ravi had no option.. He followed with still his face was stinging with the tight slap of his father. But there was a big pump of blood in his dick with this humiliation, it was already full morning and he was scared that outside the door of the house to go near  the gate anybody can see him nude and walking like dog. But he knew he had no option. Roshan went near the gate. He was in t shirt and shorts but Ravi’s heart starting jumping in fear and anxiety mixed with humiliation. He followed ROshan hesitatingly. He was now ful hard and was full red faced. He tried to hide himself behind Roshan somehow. Roshan also didnt push too hard as he knew it can be a problem for him as well. Somehow in the 5 minute nobody passed the road outside the gate. Roshan now started moving towards the basement door which was also there from outside. He opened it and entered into stairs downwards. Ravi rushed fast into basement stairs to save his dignity which he was total on the verge of losing. For Ravi it was too difficult to descend in dog pose. He totally felt that he will fall down on his face. Somehow he reached down stairs. Roshan was already ahead of him.

“Sit like Dog on its two legs” Roshan ordered. Ravi Didn't understand it. “U dumbass, do you understand anything or not.” Roshan shouted as Ravi was behaving like a stupid. Roshan held him by hair, made hin sit on his two legs and instructed to keep other two hands near his nipples like a dog on his two legs. Roshan just started doing exercise. One by one, pushups, situps, treadmill, elliptical trainer, abdominal bench, light wts etc, almost one hour he kept doing exercise while Ravi was sitting in dog pose. His legs started badly paining. In between Ravi tried to sit on his legs, but Roshan shouted at Ravi, and he got really scared. Once Roshan had to come and slap hard on Ravi’s face. But at last it became unbearable for Ravi and he sat again and surprisingly Roshan didn't reacted this time which gave some courage to Ravi and he relaxed a bit more. Roshan was watching everything but he had some big plan to punish him, so he ignored Ravi. it was almost 20 mins when Ravi relaxed and by that time Roshan had already finished 1.5 hrs of exercise. Roshan had finished skipping, running at spot etc. Roshan was fully sweating by now and his Adidas tshirt and shorts were fully soaked in sweat by now. Ravi was continuously looking at his father and was finding this all too erotic, He had never seen him doing exercise anytime and his body so closely. Roshan loved exercise a lot. His body  was more athletic than muscular. His exercise regime was more concentrated towards keeping him fit. In his forties keeping him fit to this level is surely an achievement that too he was at a high post in pharmaceutical company. His shorts and t-shirt was totally stuck to his body and this was surely a candy for Ravi eyes who till now had never looked his father in a sexual way. But things had changed in just one day so much. His father by now was a sex bomb for him. So fit athletic and with a big dick was all running in his mind.
Ravi had explored sex in last two years with his friend and neighbour Chetan. Almost on weekly or biweekly basis he was doing sexual encounters with him. CHetan had shared some of his and his family sexual secrets with him. Chetan had also told Ravi that he found Roshan too handsome and sexy. But he never looked it that way till now. But from yesterday when Ravi got so much exposed in front of his father, he really started looking it that way. The Whole paradigm changed in a day. He is now getting aroused looking at Roshan and when he became totally hard at dick, he didnt realise and by default his hands started moving on his dick without even realising that he is no more allowed to do so.

A Strict Father - 16

Ravi “The Dog”

Roshan kept looking at pleading face of Ravi, but he wanted full control on him. roshan moved his fingers asking Ravi to sit down. Ravi's hard cock was not settling down inspite of his best effort. Somehow Roshan;s fingers were still into his mind. Ravi immediately sat down.
"On your four" Roshan said.
Ravi didnt understand that. Didnt dare to ask again. He sat like dumb looking at Roshan's face.
"Dont you understand" Roshan asked sternly.
"nnnnnn..........no sir" Ravi told sheepishly.
"Be like a dog" Roshan replied.
Ravi immediately understood and was little surprised. He took few seconds before he was on his four limbs standing like a dog.
Surprisingly he felt more turned on in this position. He felt more humiliated when his father looked into his eyes cunningly.... immediately his cock got a twitch in humiliation. He bowed his head in shame. He was just wondering why he is getting turned on in standing like a dog naked in front of his father. He felt himself so exposed that his mind was running.
"Turn backside." Roshan 's next order came
He turn himself and now his ass was towards his father. He was feeling more humiliated now as his ass was in full glare of his father.
Roshan whose both legs were on bed by now. moved his leg down and he started fondling Ravi's balls with his toes. Roshan pushed Ravi a bit to adjust his left leg to fondle balls easily.
Now Ravi started getting more and more turned on. roshan was trying to caress and keep his touch gentle to make Ravi more and more excited. exactly same thing happened. Ravi felt total high with feather touch of his father's toes. Roshan wanted to make Ravi more and more controlled by controlling his organ. he was going as per his plan. he kept on caressing and fondling his balls. Slowly Ravi started moaning again......
"Uuuuuuuuuuuummmmmmmmmmmmmaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhh........................"
"Aaaaaaaaaaaahhhhhhhhahhhhhhhhhhhhhaaaaaaaaaaaaaa...................................."
"Uuuuuuuuuuuummmmmmmmmmmmmaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhh........................"
"Aaaaaaaaaaaahhhhhhhhahhhhhhhhhhhhhaaaaaaaaaaaaaa...................................."
Roshan felt a bit tired after with his legs raised. So he decided to use his hand now. He kept his leg down and pulled Ravi by his ass. Ravi looked back surprised. Now roshan started moving his fingers. it was more sensual than toes as expected. Roshan kept his touch too light not really touching ravi's skin. Ravi started feeling more and more excited. He started moaning loudly now.
"Uuuuuuuuuuuummmmmmmmmmmmmaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhh........................"
"Aaaaaaaaaaaahhhhhhhhahhhhhhhhhhhhhaaaaaaaaaaaaaa...................................."
"Uuuuuuuuuuuummmmmmmmmmmmmaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhh........................"
"Aaaaaaaaaaaahhhhhhhhahhhhhhhhhhhhhaaaaaaaaaaaaaa...................................."
Ravi's cock was fully hard and precum was oozing from it. Ravi wanted to touch it. again and again he was moving his hand towards his cock, but taking it back in the fear that he may get punished. but it was becoming totally uncontrolled and he touched his balls.
"Dont dare to touch your balls." Roshan shouted. Ravi got back to senses.
Roshan kept fondling his balls. Ravi was full hard on................ and with in few minuted he felt that he is about to cum......
Roshan immediately guessed it and stopped fondling.
"So this dog like his balls to be touched................." Roshan asked.
Ravi kept quiet.
"What a shameless creature you are that you like the touch of your father..................... what a shame.............." Roshan said. HE wanted to humiliate his son more.
Ravi kept his head low in shame. He really felt ashamed that he is getting turned on by his father's touch................
"You need to earn it my pet..........."
roshan got up and went to his cupboard. He took out the tennis ball. He came back and threw ball to other side of the room.
"Bring the ball with your mouth and then only i will entertain your wish............." Roshan said. Ravi was not able to believe his ears. but he was fully turned on. Somehow wanted to get relief......
He ran on his four to the other corner of the room and tried to get hold of the ball through his mouth. Somehow ball was not fitting into his mouth. it kept on moving here and there. After sometime he thought of using his left hand and he did that.
" Dont use your hand bloody. Dogs dont use it."
Ravi immediately was back on his four and started again to hold the ball with his mouth. Some how after few trials he got hold of the ball and he came back running towards his father.
"Very good boy............." roshan patted at ravi's head and waived his hair with love.
"time to get your prize", He started fondling his balls again. Ravi got turned on again and his half erect cock was hard again. he started moaning again..
"Aaaaaaaaaaaahhhhhhhhahhhhhhhhhhhhhaaaaaaaaaaaaaa...................................."
"Uuuuuuuuuuuummmmmmmmmmmmmaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhh........................"
"Aaaaaaaaaaaahhhhhhhhahhhhhhhhhhhhhaaaaaaaaaaaaaa...................................."
Again his cock was full hard on and started oozing precum....... Roshan stopped again. He threw ball again to other end of the room.
Ravi ran on his four again and reached other corner. He tried to grab ball with struggle and somehow came back with ball in his mouth.
This time Roshan patted him again. as a reward he started caressing his ass and lower pubic region. Ravi was again high and when Roshan hand reached uner and side of his balls, he started again moaning again.
"Uuuuuuuuuuuummmmmmmmmmmmmaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhh........................"
"Aaaaaaaaaaaahhhhhhhhahhhhhhhhhhhhhaaaaaaaaaaaaaa...................................."
"Uuuuuuuuuuuummmmmmmmmmmmmaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhh........................"
This continued for some time and Ravi was raging hard and desperately wanted to cum. His cock was dripping precum. Roshan was enjoying Ravi's blue balls and he continued teasing him more.........

To be continued...............

ek ajeeb sa sapana aaya mujhe

“ishaant idhar aao…..” maths teacher ke muh se apana naam sunakar mera dil dhaak se baith gaya. is baar phir main phel ho gaya kya. pichhale...